रानीगंज(अररिया),जाप्र : पौष लोक आस्था का पर्व पौष पूर्णिमा पर रानीगंज मेला में लगने वाला प्रसिद्ध मेला यूं तो संपन्न हो गया। लेकिन फरियानी नदी एक बार फिर कई नये दोस्तों का गवाह बना। साथ ही लोगों ने कुटीर उद्योग के तहत बने कई सामानों की जमकर खरीददारी की। वर्ष में एक बार फरियानी नदी पर लगने वाला यह मेला कई मायनों में अनूठा है। इस अवसर पर जहां क्षेत्र के लगभग हर घर में पकवान बनाने व खाने खिलाने की पुराना रिवाज है जो आज तक कायम है।
हालांकि आधुनिकता की बू इस मेले तक भी आ गयी है बावजूद आज भी मेले में लोग एक दूसरे से दोस्ती निभाने की कसमें खाते हैं। पौष पूर्णिमा के अवसर पर कोसी को साक्षी मान इस बार भी कई लोगों ने दोस्ती निभाने की कसमें खायी। काफी ठंड के बावजूद मेला परिसर में लोगों का काफी जमावड़ा हुआ। इसके अलावा कुटीर उद्योग के तहत बने लकड़ी एवं लोहे के सामानों की खरीददारी भी यहां खूब होती है। विभिन्न गांवों से आये समूह में लोगों ने थोक के भाव में लकड़ी के बने सामान खरीदे। हालांकि क्षेत्र में इमारती लकड़ी की लगातार हो रही कमी का असर मेले में बिकने वाले सामानों के आवक एवं कीमतों पर देखने को मिला। परंतु मेले में आने वाला ऐसा कोई व्यक्ति नहीं था जो मेले से मनचाहे कीमत में आवश्यकता से अधिक खरीददारी नहीं कर गया। मेले में सुरक्षा की दृष्टि से थानाध्यक्ष अरूण सिंह सुबह से ही दल-बल के साथ मेला परिसर में डेरा डाले थे। मेले में सुबह की चहल पहल के बाद दूर-दूर से जो लोगों का आना आरंभ हुआ दोपहर तक काफी दूर तक मेला परिसर में तिल रखने की जगह नहीं बची थी।
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