अररिया/कुर्साकांटा : कुर्साकांटा प्रखंड के कपरफोड़ा बंध्याकरण शिविर में अगर लाभुक महिलाओं को सरकार द्वारा निर्धारित प्रोत्साहन राशि दी जाती तो शायद बवाल नहीं होता। लाभुक महिलाओं को पैसा नही देने से उत्पन्न स्थिति को ही सारी घटनाओं के लिए जिम्मेवार माना जा रहा है। वहीं, डीपीएम रेहान अशरफ का कहना है कि सरकार द्वारा आवंटन नहीं दिया गया है जिस कारण लाभुकों को पैसा नहीं दिया जा रहा है।
कपरफोड़ा शिविर की घटना से यह भी स्पष्ट होता है कि स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के कारण एनजीओ द्वारा पैसा देने के नाम पर फर्जीवाड़ा किया जाता है। ज्ञात हो कि संस्थागत बंध्याकरण कराने वाली महिलाओं को प्रोत्साहन राशि के रूप में 600 रुपये एवं आशा कर्मी को उत्प्रेरक के रूप में 150 रुपये का तत्काल भुगतान का प्रावधान है। ऐसा पहले किया भी जाता था। इस वर्ष भी जय अंबे वेलफेयर सोसायटी को बंध्याकरण कैंप के लिए अधिकृत किया गया। जानकारी के अनुसार प्रारंभ में एनजीओ ने कुछ महिलाओं को प्रोत्साहन राशि वितरित की और उसकी वीडियोग्राफी करायी। परंतु बाद में इसे बंद कर दिया गया।
गौरतलब है कि विगत 25 दिसंबर को इसी संस्था द्वारा कुर्साकांटा पीएचसी में 164 एवं कुआड़ी में 30 महिलाओं का बंध्याकरण किया गया था। उन्हें न तो प्रोत्साहन राशि दी गयी और न ही आशा कर्मियों को ही कोई राशि दी गयी। इसे लेकर परिजनों ने अस्पताल परिसर में जमकर बवाल काटा। एनजीओ कर्मियों को जलील भी होना पड़ा। बाद में कुछ स्थानीय लोगों के हस्तक्षेप के बाद मामला शांत हुआ। इस बाबत डीपीएम रेहान अशरफ ने दूरभाष पर एलाटमेंट का अभाव की बात कह कर बाद में भुगतान किए जाने की बात कहीं।
आशा कर्मी मुन्नी देवी, विभा झा, बसंती देवी, जयमाला, ललिता आदि ने बताया कि वह भुगतान आज तक नही हो सका है। पुन: जनवरी के प्रथम सप्ताह में प्रखंड के कपरफोड़ा मध्य वि. में उसी संस्था के द्वारा 53 महिलाओं का बंध्याकरण किया गया। वहां भी जब प्रोत्साहन राशि नही दी गयी तो परिजन बवाल काटने लगे। मौके पर एनजीओ कर्मी द्वारा रोगियों को एक्स्पायरी दवा वितरित किये जाने से उत्तेजित लोगों ने इसकी सूचना एसपी को दे दी। रोगियों के बीच एक्स्पायरी दवा वितरित किया जाना एनजीओ के लिए गले की फांस बन गई। सूत्रों की मानें तो एनजीओ द्वारा थोड़ी बहुत दवा देकर उसी के नाम पर सारी प्रोत्साहन राशि हड़प ली जाती है। यह धंधा खासकर ग्रामीण इलाके में जोरों से चलता है।
बताया जाता है कि कपरफोड़ा शिविर में पूर्णिया के सर्जन डा. एके चौधरी ने शिविर में एक ही रात 53 महिलाओं का बंध्याकरण आपरेशन किया था। यह अपने आप में एक अलग सवाल है कि क्या कोई एक डाक्टर एक ही रात इतनी संख्या में आपरेशन कर सकता है? वहीं, डा. चौधरी शिविर से सुबह अनुपस्थित भी पाये गये। जिस वक्त एसपी कपरफोड़ा पहुंचे थे उस समय ऐसे एनजीओ कर्मी महिलाओं के उपचार में लगे थे, जिनके पास चिकित्सा से जुड़ा कोई प्रमाण पत्र नही था।
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