Thursday, April 12, 2012

रेणु पुस्तकालय वर्षो से बंद


फारबिसगंज(अररिया) : फारबिसगंज की माटी से उपजे अमर कथा शिल्पी फणीश्वर नाथ रेणु की चर्चा तो सभी जगह होती है, लेकिन उनकी याद में वर्षो पहले बना पुस्तकालय जहां उन्होंने अपने जीवन के महत्वपूर्ण क्षणों को बिताया उसे पूरी तरह भुला दिया गया। बात हो रही है फारबिसगंज के सार्वजनिक रेणु पुस्तकालय की जो कि आज अस्तित्व विहीन हो चुका है। यहां न तो अब पुस्तकें हैं और न ही पुस्तकालय जैसी कोई बात। बस एक पुराना भवन खड़ा है जिसमें कुछ छात्र रहते हैं। रेणु के अपनों ने भी इस धरोहर को बचाने का समुचित प्रयास नहीं किया। जबकि रेणु के पुत्र पदम पराग राय वेणु विधायक भी बन गये। लोगों ने विधायक से इस पुस्तकालय को फिर से चालू कराने की कई बार मांग भी की। लेकिन परिणाम सिफर रहा। वर्षो पूर्व यहां सार्वजनिक रेणु पुस्तकालय की स्थापना की गयी थी। इस पुस्तकालय में शुरूआती दौर में बहुमूल्य पुस्तकें और रेणु की अमर कृतियां भी पाठकों को पढ़ाने के लिए मिल जाती थी। लेकिन आर्थिक सहयोग के अभाव में पुस्तकालय धीरे धीरे बंद हो गया। यहां रखी पुस्तकें कुछ लोग अपने घरों में लेकर चले गये। जो कुछ बची खुची थी उसे दीमक चाट गया। बेंच डेस्क भी बहुत कुछ गायब हो गये। विदेशी शोधकर्ता जब रेणु के जीवनी और कृतियों को खोजते पुस्तकालय पहुंचे तो उन्हें पुस्तकालय ऐसी हालत में देखकर बेहद निराशा हुई थी। रेणु के चाहने वालों की कड़ी प्रतिक्रिया के बाद भी प्रशासन से लेकर जनप्रतिनिधियों तक ने इसके उद्धार के लिए रूचि नहीं दिखायी।

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