Wednesday, March 9, 2011

गरीब बच्चे भी सीबीएसई विद्यालयों में पा सकते हैं शिक्षा


अररिया : अब झोपड़पट्टी में रहकर जीवन गुजारने वाले लोग अपने बच्चों को बेहतर व गुणवत्तायुक्त शिक्षा दिला सकते हैं। यह सपना राज्य सरकार ने नि:शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम लागू कर साकार किया है। अधिनियम के नियमों के अनुसार गैर सरकारी मान्यता प्राप्त अर्थात प्राईवेट स्कूलों में प्रथम प्रवेश यथा वर्ग एक या नर्सरी कक्षा में नामांकन के समय बच्चे या बच्चे के अभिभावक का स्क्रीनिंग टेस्ट नहीं लिया जायेगा। यहीं नहीं प्रथम प्रवेश के दौरान किसी भी तरह का कैपिटेशन फीस भी नहीं लेने का प्रावधान किया गया है। मानव संसाधन विकास विभाग द्वारा जारी की अधिसूचना के मुताबिक अगर किसी स्कूल में स्क्रीनिंग टेस्ट ले लिया गया है तो उसे रद करना पड़ेगा। नियम के मुताबिक प्रावधानों का उल्लंघन करने वाले स्कूल प्रशासन पर 25 हजार रुपया आर्थिक दंड लगाया जायेगा। यहीं नहीं कैपिटेशन फीस लेने पर ली गई राशि का 10 गुण दंड स्वरूप वसूली की जायेगी। जबकि अधिनियम की धारा 12 के तहत सीबीएसई व आईसीएसई मान्यता प्राप्त प्राइवेट स्कूलों में गरीब बच्चों के पढ़ने का रास्ता साफ हो गया है। प्रत्येक सीबीएसई व आईसीएसई मान्यता प्राप्त प्राईवेट स्कूलों में 25 प्रतिशत सीट गरीब व कमजोर वर्ग के छात्रों के लिए सुरक्षित रहेगा। सभी विद्यालयों में वर्ग एक, नर्सरी में 25 फीसदी नामांकित बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा देने का प्रावधान किया गया है। प्रवेश की प्रक्रिया रेंडोम विधि के तहत होगी और स्क्रीनिंग टेस्ट लेने पर रोक लगा दी गई है। इस विषय में डीईओ दिलीप कुमार ने बताया कि सरकारी निर्देश की प्रति डीएसई, आरईइओ, सभी सीबीएसई स्कूलों को दे दी गई है। उन्होंने यह भी बताया कि नियम की अनदेखी करने वालों पर कार्रवाई तय है।

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