फारबिसगंज(अररिया) : अभाविप का प्रांतीय अधिवेशन वह भी प्रदेश के सुदूर सीमाई इलाके में जहां बांग्लादेशी घुसपैठ, तस्करी, भारत नेपाल की अंतरराष्ट्रीय सीमा इस एहसास से ही मन में उर्जा का संचार हो गया। फिर कड़ाके की इस ठंड भी अधिवेशन में भाग लेने वाले सूबे के कोने कोने से पहुंचे छात्र छात्राओं, प्रतिनिधियों का उत्साह कम नहीं हुआ। भीषण ठंड के बावजूद प्रतिनिधियों ने अधिवेशन में तन्मयता से भाग लिया।
गोपालगंज से पहुंची पम्मी कुमारी ने कहा कि अधिवेशन का अनुभव अच्छा रहा। भीषण ठंड से हमारे उत्साह में कमी नहीं आयी। वहीं वर्षा कुमारी ने कहा कि यहां आकर सीमावर्ती क्षेत्र को नजदीक से देखने, समझने का मौका मिला। वहीं मुंगेर की प्रतिनिधि प्रो. रीता महतो ने कहा कि कार्यक्रम बहुत अच्छा बीत रहा है वहीं अभाविप के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष जहानाबाद के डा. उमेश कुमार ने कहा कि ठंड तथा इस पिछड़े इलाके में अधिवेशन को लेकर कुछ संशय थी लेकिन आयोजन बेहतरीन हो रहा है। उन्होंने कहा कि छात्र छात्राओं, शिक्षकों में नेपाल तथा बांग्लादेश से सटे फारबिसगंज को लेकर उत्सुक थे। यहां आकर सभी ने अच्छा अनुभव किया। मुजफ्फरपुर में एलएस कालेज में पत्रकारिता विभाग में गेस्ट फैकल्टी मुकुल शर्मा ने कहा कि फारबिसगंज के गौरवशाली अतीत इस रेणु की धरती को बेहद करीब से देखा सुना है। यहां का अधिवेशन सोच से विपरीत अच्छा रहा है। यहां राष्ट्रीय स्तर की व्यवस्था देखने को मिली। रहने से लेकर खाने पीने की व्यवस्था अच्छी रही। उन्होंने कहा सूबे के अलग अलग जिलों से पहुंचे प्रतिनिधियों के लिए अधिवेशन स्थल का सीमावर्ती इलाका होना महत्वपूर्ण हो गया है जो बांग्लादेशी घुसपैठ, तस्करी, सीमा तथा राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे अभाविप का आंदोलन रहा है। अधिवेशन में बाहर करीब 1100 से अधिक प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।
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