फारबिसगंज (अररिया) : फारबिसगंज-कुर्साकांटा-सिलीगुड़ी डोमरा बांध सड़क स्थित परमान नदी पर दशकों बाद भी पुल का निर्माण नहीं हो सका है। जबकि पुल के नाम क्षेत्र की बड़ी ग्रामीण आबादी जनप्रतिनिधियों के द्वारा बार-बार छली जाती रही है। आश्वासनों की घूंट पीते-पीते ग्रामीण थक चुके हैं। आज भी परमान पर प्रतिवर्ष ग्रामीणों द्वारा बनाया जाने वाला चचरी पुल ही आवागमन का एक मात्र सहारा है।
परमान नदी पर ओसरी घाट के समीप वर्षो पूर्व ही पुल बनाने के निर्णय लिया गया था। सांसद विधायक द्वारा कई बार पुल बनवाने की घोषणा की जाती रही है। परंतु यह घोषणा महज छलावा ही साबित हुआ है। आखिर कब तक छले जाते रहेंगे ग्रामीण?
खुल सकते हैं विकास के द्वार
परमान नदी पर उक्त पुल के बन जाने से फारबिसगंज सहित कुर्साकांटा क्षेत्र में विकास की नई कहानी लिखी जा सकती है। पिछड़े ग्रामीणों को स्वास्थ्य, शिक्षा, यातायात की बेहतर सुविधा मिल सकेगी। इस क्षेत्र के लोग आज भी बीमारी की हालत में मुसीबतों का सामना करने को विवश हैं। पुल नहीं होने के कारण प्रसूति महिलाओं तथा अन्य गंभीर रूप से अस्वस्थ लोगों को समय पर अस्पताल पहुंचाना बड़ी चुनौती है। क्षेत्र के लोगों के लिये अस्पताल तथा बाजार के लिये फारबिसगंज ही जाना पड़ता है। बारिश के दिनों में समस्या और भी विकराल हो जाती है। बाढ़ प्रभावित इस क्षेत्र केलोग तीन महीनों तक पानी से ही घिरे रहते हैं।
क्या कहते हैं ग्रामीण:-
कुर्साकांटा के सोनामनी गोदाम निवासी अजात शत्रु, ओसटी निवासी निर्भय केसरी, राय बहादूर केसरी आदि ने कहा कि प्रशासन तथा जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के कारण ग्रामीण आज भी लालटेन युग में जी रहे है। क्षेत्र में न तो बिजली है और न टेलीफोन। बस भगवान भरोसे जी रही है ग्रामीण आबादी। इस पुल के बन जाने से फारबिसगंज-कुर्साकांटा आवागमन आसान हो जायेगा। जबकि सिल्लीगुड़ी से भी सीधी सेवा शुरू हो जायेगी।
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