Sunday, January 29, 2012

अररिया में निर्मल ग्राम बना सपना


अररिया : घर में शौचालय, शुद्ध पेय जल, सड़क व स्वास्थ्य जैसी सुविधाएं अररिया में सपना बन गयी हैं। जिले में इन सब सुविधाओं से परिपूर्ण निर्मल ग्राम बनाने की घोषणा डेढ़ वर्ष बाद भी अधूरी है।
वर्ष 2010 के नवंबर माह में नयी सरकार का गठन हुआ। इसके दो माह पूर्व से ही नगर विकास मंत्री अश्रि्वनी कुमार चौबे ने मुख्यालय एवं ग्रामीण स्तर पर आयोजित सभा में घोषणा की थी कि बिहार के प्रत्येक जिले में 30 निर्मल ग्राम बनाये जायेंगे। निर्मल ग्राम के तहत घर-घर में शौचालय, शुद्ध पेय जल की व्यवस्था होगी। इसके अलावा गांव तक पहुंचने के लिये अच्छी सड़कें भी बनायी जायेगी। लेकिन चुनाव के बाद सरकार गठन के साथ ही वे घोषणाएं भी ग‌र्त्त में चली गयी। संपूर्ण स्वच्छता अभियान के तहत जिले के 700 सौ से अधिक गांवों में 25 हजार शौचालय निर्माण का लक्ष्य रखा गया। लेकिन डेढ़ वर्ष समाप्त होने के बाद भी अब तक मात्र 2432 शौचालय का ही निर्माण हो पाया। विभिन्न गांवों में बने इस शौचालय का नामोनिशान भी नही है। क्योंकि गुणवत्ता विहीन शौचालयों के कहीं पैन टूट कर बिखर गये तो कहीं टंकियां मिट्टी भरने से विलीन हो गयी।
वहीं शुद्ध पेय जल उपलब्ध कराने की कार्रवाई भी मंथर गति से चल रही है। ऐसा लगता है कि शुद्ध जल के फिल्टर युक्त ट्यूबेल लगाने की कार्रवाई कागजों पर ही संपन्न हो रही है। कार्य की गति का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि आज भी हजारों फिल्टर ट्यूबवेल विभाग के कैंपस की शोभा बढ़ा रहे हैं। जिले के तीन दर्जन से अधिक ऐसे गांव है जहां दूषित जल के प्रभाव से घेंघा, हेपेटाईटिस व लीवर कैंसर का प्रकोप लगातार बढ़ रहा है।
इस संबंध में पीएचडी के कार्यपालक अभियंता अशोक कुमार बताते है कि कर्मियों के अभाव में जिले में एक भी निर्मल ग्राम की स्थापना नही हो पायी है। चूंकि पूर्व में जितने भी शौचालय का निर्माण कराया गया है, उनका भौतिक सत्यापन जरूरी है। जब तक निर्मित शौचालय का भौतिक सत्यापन नही हो जाता है तब तक इस दिशा में आगे की कार्रवाई नही बढ़ायी जा सकती है।

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