अररिया : यहां बाघ इस तरह नजर आते हैं, जैसे यूरोप में खरगोश, आप चाहें तो रोज एक मार सकते हैं', ..यह 19वीं सदी में प्रख्यात शिकारी जेम्स इंगलिस द्वारा लिखित पुस्तक टेंट लाइफ इन टाइगरलैंड के उद्धरण है। कथा भूमि है अररिया व नेपाल की तराई से लगता पूर्णियां व तत्कालीन नार्थ भागलपुर जिले का उत्तरी इलाका। लेकिन इसके बाद जंगलों की लगातार कटाई से बाघ सहित अन्य जंगली जीव विलुप्त होते गए और नयी पीढ़ी के लिए हिरण, तेंदुआ व चीता आदि केवल किताबों में ही सिमट कर रह गए।
इधर, विगत एक दशक के दौरान अररिया व आसपास के इलाके में भटकते बड़े जंगली जीवों को देखकर ऐसा लगता है कि इतिहास अपने को दोहराने वाला है। इस दौरान दो जंगली हाथी, आधा दर्जन तेंदुआ, एक दर्जन से अधिक हिरण व कई दुर्लभ वन्य जीवों को यहां के गांवों के आसपास भटकते देखा गया है।
2001 में जिले के राघोपुर पचीरा में एक विशालकाय नर तेंदुआ देखा गया। इसने तकरीबन एक दर्जन लोगों पर हमला कर घायल कर दिया था। इसी समय रानीगंज के इंस्पेक्टर ने गश्ती के दौरान एक मादा तेंदुआ व उसके दो बड़े बच्चों को प्रखंड से गुजरने वाली श्रीनगर वितरणी नहर पर पानी पीते देखा। नर तेंदुआ स्थानीय लोगों द्वारा मार दिया गया। मादा अपने बच्चों के साथ नेपाल की ओर वापस चली गई। तेंदुआ देखे जाने की और भी कई घटनाएं सामने आयी हैं। विगत साल एक विशाल दंतैल नर हाथी कई दिनों तक यहां के खेतों व जंगलों में भटकता रहा। आखिरकार वह गंगा तट के इलाके की ओर निकल गया।
यहां के जंगलों में तकरीबन आधा दर्जन प्रजातियों के हिरण भी पाये गये हैं। उन्हें वन विभाग ने पकड़ कर राजगीर व पटना के उद्यानों में स्थानांतरित कर दिया। इन हिरणों में काकड़, कस्तूरी मृग, चीतल, सांभर, बारहसिंगा आदि प्रजातियों के हिरण शामिल हैं।
इधर, जिले में जंगलों की हरियाली लौटने के बाद एक नये प्राणी का आगमन खूब हो रहा है। ये हैं नील गाय। विगत एक दशक में तकरीबन दो दर्जन नील गायें यहां के गांवों में देखी गयी हैं। इनमें से कुछ को मार भी दिया गया। लेकिन खुशखबरी यह है कि जिले के नव विकसित परवाहा जंगल में सात नील गायों ने अपना परमानेंट डेरा बना लिया है। डीएफओ रणवीर सिंह की मानें तो वन्य जीवों के संरक्षण के लिए अलग वाइल्ड लाइफ डिवीजन होता है, लेकिन वन विभाग जंगली जीवों की रक्षा के लिए सजग है।
वन्य जीवों के ताजा मूवमेंट ने उत्सुकता और बढ़ायी है। विगत सोमवार को रानीगंज के निकट मिर्जापुर में कमला की पुरानी धारा में एक अजगर पाया गया। यह वन्य जीव अधिनियम के शिड्यूल वन में वर्णित महत्वपूर्ण प्राणी है।
वन्य जीवों के इस मूवमेंट के निष्कर्ष साफ हैं। जंगल के प्राणी अपने राजा के नेतृत्व में नये बसेरे की तलाश में हैं। यह सवाल भी कि इस इलाके में जंगलों के रेस्टोरेशन के बाद बड़े वन्य जीव क्या घर वापसी करना चाहते हैं?
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