अररिया/जोकीहाट : कछुवा की चाल से ग्रामीण विद्युतीकरण का कार्य होने से आजिज लोगों ने अपने घरों को रोशन करने के लिए कई उपाय आजमाने शुरू कर दिए हैं। कई गांवों में निजी जेनरेटरों का सहारा लिया जा रहा है तो जोकीहाट के कुछ गांवों में ग्रामीणों ने निजी तौर पर ट्रांसफार्मर खरीद कर लगाया है।
जोकीहाट प्रखंड केधर्मेश्वर गछ गांव में राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के तहत पोल व तार तो लगा दिए गए पर ट्रांसफॉर्मर नहीं लगाया गया। बिजली की प्रतीक्षा करते-करते परेशान हो चुके लोगों ने आपस में चंदा इकट्ठा किया तथा सिलीगुड़ी से ट्रांसफॉर्मर खरीद कर गांव में लगा लिया। इसी तरह थुबड़ी गांव में भी भागलपुर से निजी तौर पर ट्रांसफॉर्मर का जुगाड़ किया गया। केसर्रा व चीरह गांव की भी यही कहानी है। पलासी प्रखंड के दौलतपुर, खपड़ा, सोहंदर, नकटाखुर्द, सोनाकांदर, बढ़ौली आदि गांवों में भी लोगों ने बिजली से अपने घरों को रोशन करने के लिए निजी तौर पर प्रयास किया है। ग्रामीणों को यह बात सालती है कि बिजली विभाग गांवों में बिजली पहुंचाने के लिए क्यों नहीं प्रयास कर रही है? वहीं, प्रखंड के जेई विनोद कुमार का कहना है कि ग्रामीण विद्युतीकरण की प्रक्रिया चल रही है। लेकिन एक सवाल यह कि यह प्रक्रिया आखिर पूरी कब होगी?
अररिया प्रखंड के अधिकतर गांवों में लोग निजी जेनरेटरों के सहारे अपने घरों को रोशन कर रहे हैं। जमुआ, खमगड़ा, दभड़ा आदि गांव के लोगों ने बताया कि निजी जेनरेटरों से सिंगल फेज लाइन मिल जाती है जिससे एक सीएफएल आराम से जल जाता है। इसमें पैसा भी कम लगता है। किरोसीन मिलती नहीं, आखिर अंधेरे में कैसे और कब तक रहेंगे?
खुली अर्थव्यवस्था की नीति के बाद जिले के गांव बड़ी तेजी के साथ बाजार के रूप में विकसित हुए हैं। इन बाजारों में ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए रोशनी पहली आवश्यकता होती है। बिजी विभाग सुस्त पड़ा हुआ है। लिहाजा लोगों ने निजी जेनरेटरों का सहारा लेना शुरू कर दिया है।
जिले के मदनपुर, बेंगा, बीड़ी चौक, बरदाहा, फुटानी चौक, पहाड़ा चौक, सिकटी, कासत, बौका, उफरैल चौक या फिर किसी भी अन्य गांव में चले जाइये, लोग निजी जेनरेटरों के सहारे घरों व दुकानों को रोशन करते मिल जायेंगे।
0 comments:
Post a Comment