Tuesday, April 10, 2012

न खाना न पानी, सीमांचल की यही कहानी


अररिया : बड़ी उम्मीदों के साथ सीमांचल वासियों ने इस ट्रेन से विकास व बेहतरी के सपने संजोये थे। लेकिन रेल विभाग की उपेक्षा ने इस सपने को ध्वस्त कर दिया है। नेपाल सीमा पर स्थित जोगबनी से सीमांचल एक्सप्रेस के माध्यम से नई दिल्ली तक का सफर तय करने वालों को अपनी यात्रा बेहद मुश्किलों के बीच तय करनी पड़ती है। ताजा बजट में भी इस ट्रेन में सुविधाओं का विस्तार नहीं किया गया।
आम जन व राजनेताओं की लगातार मांग के बावजूद इस ट्रेन में न तो पेंट्री कार की व्यवस्था की गयी है और न ही अन्य सुविधाएं ही दी गयी हैं। यहां तक कि यात्रियों को एक बूंद शुद्ध पानी के लिए भी तरसना पड़ता है।
नीतीश कुमार ने अपने रेल मंत्रित्व काल में जोगबनी कटिहार रेलखंड के आमान परिवर्तन की आधार शिला रखी थी और लालू प्रसाद जब रेल मंत्री बने तो उन्होंने बड़ी लाइन का उद्घाटन किया तथा दिल्ली के लिए सीमांचल एक्सप्रेस ट्रेन की शुरूआत की। लोगों की उम्मीदें परवान चढ़ीं और विकास के कई सपने बुने गये। पर रेल मंत्रालय की उपेक्षा के कारण यह सपना ध्वस्त हो गया है।
इस ट्रेन से यात्रा करने वालों की मानें तो लगातार मांग के बावजूद ट्रेन में अब तक पेंट्री कार व शुद्ध पेय जल की व्यवस्था नहीं की गयी है। जिससे लोगों को अपनी यात्रा या तो भूखे पेट तय करनी पड़ी है या फिर साथ में लिए गये मूढ़ी-भूजा को खाकर संतोष करना पड़ता है।
विदित हो कि अररिया के सांसद प्रदीप कुमार सिंह ने सीमांचल एक्सप्रेस में भोजन यान लगाने व सामान्य तथा वातानुकुलित बागियों की संख्या बढ़ाने की मांग लोक सभा में अपने संबोधन के दौरान भी उठाई है। इससे पहले उन्होंने रेल मंत्री को भी इस संबंध में पत्र लिखा है। लेकिन रेल विभाग समस्या के प्रति ध्यान नहीं दे रहा है।
गौरतलब है कि कटिहार जोगबनी रेलखंड देश के सबसे पुराने रेलखंडों में से एक है। नेपाल सीमा के पास बसे रेल खंड का निर्माण 1880 में किया गया था। गुलाम भारत में अंग्रेजों ने तो इसके विकास के लिए बहुत कुछ किया पर आजाद देश की अपनी ही सरकार इस क्षेत्र में रेल सुविधाओं के विकास के लिए कुछ नहीं कर रही है।

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