जोकीहाट (अररिया) : क्षेत्र से लगातार हो रहे मजदूरों के पलायन का कुप्रभाव अब यहां के खेती पर दिखना शुरू हो गया है। अब यहां के किसानों को अपना फसल लगाने व काटने के अलावा अन्य कार्यो के लिए मजदूर नहंी मिल रहे हैं। फिलहाल मजदूरों की कमी के कारण क्षेत्र में धान की रोपनी प्रभावित हो रही है। अनुकूल मौसम के बावजूद मजदूरों की कमी के कारण यहां समय पर धान रोपनी का काम नहीं हो पा रहा है। घर में ही रोजगार देने के उद्देश्य से चलायी गयी मनरेगा योजना प्रखंड क्षेत्र में अधिकारियों की उदासीनता व बिचौलियों की भेंट चढ़ गयी जिस कारण योजना का कार्यान्वयन यहां ठीक ढंग से नहीं हो पाया। फलत: मजदूर रोजी रोटी की तलाश में अन्य प्रांतों को कूच कर गये। ज्ञात हो कि यहां रोजगार का एक प्रमुख साधन आज भी खेती है। खेती के बल पर ही यहां के किसानों की गृहस्थी चलती है। क्षेत्र का मुख्य फसल धान, गेहूं और पटुवा है। इसी खेती के बल किसान अपने बच्चों की पढ़ाई-लिखाई से लेकर शादी एवं अन्य कार्य करते हैं। लेकिन उनकी यह खेती अब मजदूरों के अभाव के कारण मार खा रही है। केसर्रा, हरदार, सिसौना, दभड़ा, पथराबाड़ी, सिमरिया, काकन, बगडहरा आदि गांवों में मजदूरों की कमी के कारण धान की रोपनी गति नहीं पकड़ पायी है। एक किसान निजामुद्दीन बताते हैं- पहले गेहूं पत्थर में खतम भैलि। आब धान रोपनी में मजदूरी नै मिलै छै। जे मिलै छै त 150-250 तक मजदूर सीनी मांगे छै। किरंग के धान रोपनी हेतै अ पटुवा कटतै। यही हाल अन्य प्रखड क्षेत्रों में भी है।
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