फारबिसगंज (अररिया) : हंसी-ठिठोली तथा कार्टून से भरी मनोरंजन और शिक्षा का पाठ पढ़ाने वाली कामिक्स की पुस्तकें अब बच्चों की हाथों से निकल चुकी है। कामिक्स से बच्चों का नाता टूट चुका है। इसकी जगह कंप्यूटर एवं इंटरनेट ने ले ली है। बच्चों ने फेसबुक और ट्विटर जैसे सोशल वेबसाइटों में अपनी मनोरंजन की दुनियां बसा ली है। कामिक्स ने नायक नागराज, कूकब्रांड, चाचा चौधरी की जगह फेसबुक के अनजाने सदस्य उनके नए दोस्त बन चुके हैं। अब तो किताब की दुकानों पर भी कामिक्स बिकना बंद हो चुका है। संचार क्रांति के इस युग में बच्चों के लिये यही मनोरंजन की दुनिया बन चुकी है।
कुछ वर्ष पूर्व तक कामिक्स कार्टूनों की आकृति और उनके प्रेरणादायक संवाद बच्चों की जुबान पर रहा करती थी। शिक्षा पर कामिक्स अभिभावकों को भी पसंद आती थी। बांकेलाल की हंसी-ठिठोली वाली चरित्र कई शिक्षाप्रद और सामाजिक देता था। इस मनोरंजन व्यवस्था में बच्चों की गतिविधि पर अभिभावकों की भी नजर रहती थी। लेकिन अब साइबर कैफे का कोई नियंत्रण नहीं है। इंटरनेट तथा फेसबुक पर अश्लील सामग्रियां भी बच्चों की पहुंच से दूर नही है। यहां अब कामिक्स की हंसी ठिठोल भी नही रही। यहां मनोरंजन नही अवशाद है।
एक अभिभावक राजेश राज ने कहा कि बच्चे घर से बाहर साइबर कैफे में क्या-क्या कर रहे हैं यह मालूम नही चलता है। हालांकि उन्होंने कहा कि बदलते जमाने में बच्चों को संचार संसाधनों से दूर रखना अब संभव नही है। राजेश ने कहा कि उन्हें मौका मिले तो आज भी कामिक्स पढ़ कर मन की थकान मिटाना चाहेंगे। छात्र रूद्र कुमार ने बताया कि इंटरनेट उसे दोस्त बनाने में मजा आता है। यहीं पर वह दोस्तों से चौट कर बात भी कर लेता है। मोटी, साक्षी बताती है कि कामिक्स पढ़ने के लिये न तो उतना समय मिलता है और न ही इच्छा होती है। वहीं पुस्तक विक्रेता आश्रय बताते हैं कि पिछले करीब पांच वर्षो से कामिक्स बेचना उसने छोड़ दिया। अब कामिक्स के बारे में कोई पूछने भी नही आता यह इंटरनेट की दुनियां है जहां किताबें भी कंप्यूटर में समाहित होती जा रही है।
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