जोकीहाट (अररिया), निप्र: वर्ष की शुरुआत में ही एड्स जैसे खतरनाक बीमारी ने खतरे का ऐसा डंका बजाया है कि स्वास्थ्य विभाग के भी कान खड़े हो गये हैं। रेफरल अस्पताल जोकीहाट के रिपोर्ट के अनुसार पिछले दो वर्षो में एड्स के केवल पांच केस पाये गए लेकिन 2012 के पहले दो महीने में ही एड्स के छह लोगों मे एचआईवी पाजिटिव मिले हैं। एड्स जिस तरह अपना खूनी पंजा फैला रहा है, वह चौंकाने वाला है।
रेफरल अस्पताल जोकीहाट के आंकड़े के अनुसार एड्स काउंसिलर पंकज कुमार तथा लैब टेकनेशियन अरशद आजम ने बताया कि जनवरी 12 में कुल 205 लोगों के एचआईवी टेस्ट किये गये जिसमें दो पुरुषों एवं एक महिला के एचआईवी पाजीटिव पाये गये। वही फरवरी माह के 21 तारीख तक कुल 145 लोगों के एचआईवी टेस्ट किया गया जिसमें एक महिला व उनके नवजात शिशु तथा एक पुरुष के एचआईवी पाजीटिव पाये गये। फरवरी माह में जो पति, पत्नी व उनके एक बच्चे के एचआईवी पाजेटिव मिले व पलासी प्रखंड के हैं। इससे पूर्व जोकीहाट के दमड़ा, चैनपुर मसुरिया से एचआईवी पाजीटिव के मामले मिल चुके हैं।
कुल मिलाकर इन डेढ़ महीने में छह लोगों के एचआईवी पाजीटिव पाये गए जो चौकाने वाले हैं। जबकि वर्ष 2010 में दो महिला व एक पुरुष के एचआईवी पाजेटिव पाये गए थे। वहीं वर्ष 2011 में पूरे वर्ष के दौरान केवल दो पुरुषों के एचआईवी पाजेटिव पाये गए थे।
कुल मिलाकर देखा जाय तो 2012 के शुरूआती दौर में ही एड्स ने जिस तरह अपना खूनी पंजा फैलाया है वह विस्मयकारी है।
क्या कहते हैं डाक्टर : रेफरल अस्पताल जोकीहाट के डा के के कश्यप ने बताया कि एड्स रोग अधिकतर प्रवासी मजदूरों द्वारा लाया जा रहा है। दूसरा कारण ग्रामीणों में जागरूकता की कमी, झोलाछाप डाक्टरों द्वारा संक्रमित सुई का प्रयोग, कंडोम का प्रयोग नहीं करना आदि कई कारण हैं जिससे लोग एड्स के शिकार हो रहे हैं।
बचाव के उपाय : डा कश्यप ने बताया कि बचाव ही एड्स नियंत्रण के उपाय हैं। ग्रामीणों में एड्स संबंधी जानकारी, कंडोम का प्रयोग, संक्रमित सुई व ब्लड का प्रयोग नही करना जैसे कई उपाय एड्स नियंत्रण के लिए आवश्यक हैं। ग्रामीणों का कहना है कि जोकीहाट-पलासी जैसे ग्रामीण इलाकों में एड्स रोग के फैलने के कारणों का और अधिक प्रचार-प्रसार की आवश्यकता है। समय रहते इस रोग पर नियंत्रण नहीं किया गया तो निश्चय ही आने वाले दिनों में एक बड़ी समस्या बनकर सामने आ सकती है।
0 comments:
Post a Comment