अररिया : अररिया में शहरीकरण की रफ्तार धीमी लेकिन धनात्मक है। शिक्षा के प्रसार व भौतिक जिंदगी को बेहतर बनाने की ग्रामीण ललक के कारण लोग बड़ी तेजी के साथ शहरों में बस रहे हैं और भविष्य में शहरी आबादी व क्षेत्रफल में भारी ग्रोथ की संभावना है।
विगत सेंसस के आंकड़ों के अनुसार यहां की कुल आबादी का लगभग 94 प्रतिशत रूरल तथा शेष छह प्रतिशत अरबन है। आंकड़ों से पता चलता है कि शहरी जनसंख्या में बढ़ोतरी की रफ्तार गावों की तुलना में अधिक है। जिले के तीन प्रमुख शहरों के भारी ग्रोथ रेट पर निगाह डाली जाय तो भविष्य में बड़े बड़े शहरी बसावटों की तस्वीर उभर कर सामने आती है।
जनगणना के आंकड़े बताते हैं कि विगत कई दशक से अररिया शहर में साठ प्रतिशत या अधिक की दर से आबादी बढ़ रही है। वर्ष 2001 की जनगणना में यह वृद्धि लगभग 68 प्रतिशत थी। वहीं फारबिसगंज पहले से ही घनी बसावट वाला शहर है। जबकि जोगबनी में विगत सेंसस के दौरान ग्रोथ रेट सौ प्रतिशत से भी अधिक रही।
जिले के परिदृश्य पर नजर दौड़ायें तो नेपाल की अंतर्राष्ट्रीय सीमा के निकट बसे इस शांत जिले में टाउनशिप डेवलप करने की कोशिशें प्रारंभ हो चुकी हैं।
जानकारी के मुताबिक फारबिसगंज के निकट सिग्नस बिहार जैसी संस्थाएं टाउन बसाने तथा हाउसिंग कालोनी के विकास को ले प्रयासरत हैं।
शहरी क्षेत्रों में जमीन की कीमत बेतहाशा बढ़ी है। अररिया के जिला बनने के वक्त सन 1990 में मुख्यालय में जमीन की दर बमुश्किल पांच सौ से एक हजार रुपये प्रति कट्ठा थी, लेकिन दो दशक बाद ही यहां औसतन तीन लाख रुपये प्रति कट्ठा की दर से जमीन बिकने लगी है। अब लोग शहरी क्षेत्र के फ्रिंज एरिया में जमीन लेने, प्लाट बंदी करने तथा भविष्य में टाउनशिप विकसित करने के ख्याल से जमीन लेने लगे हैं। अररिया शहर के दक्षिण लहटोरा पेट्रोल पंप तक जमीन बिक चुकी है। वहीं, फोर लेन के किनारे आप हड़ियाबारा टप जाइये, जमीन नहीं मिलेगी। क्योंकि लोगों ने भविष्य में शहर विस्तार के मद्देनजर अभी ये ही जमीनें ले रखी हैं। पश्चिम में रानीगंज मार्ग में स्थित गिदड़िया बल्कि उससे भी आगे रजोखर तक जमीन बिक चुकी है। निष्कर्ष यह कि जिला मुख्यालय अररिया के निकट दस बारह किमी की परिधि में जमीन बिक चुकी है और भविष्य में इन जमीनों पर हाउसिंग कालोनी का विकास किया जायेगा।
इसके अलावा राष्ट्रीय स्तर पर आर्थिक सुधारों के बाद जिले में कम से कम आधा दर्जन बड़े शहर तथा दो दर्जन व्यस्त ग्रामीण बाजार डेवलप हुए हैं। इन शहरों में जोकीहाट, रानीगंज, कुर्साकाटा, पलासी, नरपतगंज, कलियागंज, महथाबा आदि शामिल हैं। जबकि ग्रामीण बाजारों में भरगामा, कुआड़ी, सिकटी, बरदाहा, मदनपुर, बैरगाछी, मटियारी, रजोखर, बसैटी, सुरसर, घुरना, सुंदरी मंठ, ताराबाड़ी, रामपुर, डेंगा, सोहंदर हाट, हरबा चौक, चरघरिया आदि शामिल हैं।
जाहिर है कि अररिया में जन बसावट का प्रवाह गांव से शहर की ओर है। हर शख्स शहर में ही रहना चाहता है। भले ही यह शहर गांव में ही क्यों न बन जायें।
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