फारबिसगंज (अररिया) : सीमावर्ती क्षेत्रों में अब बड़े पैमाने पर मवेशियों की किडनैपिंग हो रही है। पहले मवेशी की चोरी की जाती है फिर उसकी वापसी के लिए फिरौती की मांग की जाती है। ग्रामीण क्षेत्रों में मवेशियों की चोरी पशुपालकों तथा किसानों के लिये बड़ी मुसीबत बनती जा रही है। खासकर सीमावर्ती क्षेत्र में मवेशी चोरी की लगातार हो रही घटनाओं से पशुपालक सकते में हैं। मवेशी चोर और तस्कर गिरोह इसके पीछे सक्रिय हैं। क्षेत्र में मवेशियों की किडनैपिंग अथवा चोरी के बाद इसे गुप्त स्थानों पर छिपा दिया जाता है। फिर पशुपालकों से मवेशी देने के बदले मोटी रकम की मांग की जाती है। फिरौती की रकम अपहरण कर्ताओं अथवा चोरों को मिल जाने पर मवेशी को छोड़ दिया जाता है, राशि नहीं देने पर तस्करों के माध्यम से मवेशियों को ठिकाने लगा दिया जाता है।
नरपतगंज के हरी यादव, फारबिसगंज के गणेश साह, विद्यानंद ठाकुर सहित कई ऐस पशुपालक और किसान हैं जिनके मवेशियों की चोरी हाल के महीनों में कर ली गई। हरी यादव ने बताया कि उसके चोरी की मवेशी को अपराधियों हरा वापस देने के लिए मोटी रकम की मांग की गई थी। जिसे वह देने में असमर्थ रहा। आखिरकार उसे मवेशी नही मिला। गणेश साह को उसके मवेशी किसी जगह बांध कर रखे जाने की सूचना मिली भी। लेकिन वह अपना मवेशी हासिल नही कर सका। हालांकि विद्यानंद ठाकुर ने जोर-तोड़ लगाकर अपनी चोरी की मवेशी सामने आये है, जिनमें से कई तो थानों तक पहुंच भी नही पाते हैं। सीमावर्ती क्षेत्र में मवेशी तस्कर काफी समय से सक्रिय रहे है। तस्करों का एक बड़ा गिरोह भारत-नेपाल सीमावर्ती क्षेत्र के अररिया, किशनगंज जिला से होते हुए पश्चिम बंगाल से लेकर भारत-बांगलादेश अंतरराष्ट्रीय सीमा तक सक्रिय है। मवेशी चोरी की घटनाओं में मवेशी तस्कर गिरोह के लोग भी शामिल है। जबकि क्षेत्र के स्थानीय चोर तथा अपराधी भी बड़े पैमाने पर मवेशी चोरी की घटनाओं में मवेशी तस्कर गिरोह के लोग भी शामिल है। जबकि क्षेत्र के स्थानीय चोर तथा अपराधी भी बड़े पैमाने पर मवेशी चोरी की घटनाओं को अंजाम दे रहा है।
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