Friday, November 18, 2011

अब सौ व बीस के जाली नोट भी पहुंचा बाजार

सीमावर्ती कुर्साकांटा (अररिया) : नेपाल के सीमावर्ती क्षेत्र से सटे ग्रामीण इलाकों में नकली नोटों को कारोबार परमान पर है। अब निम्न आय वर्ग के लोग भी इसकी चपेट में आ रहे हैं। अभी तक जाली नोटों में पांच सौ व एक हजार के नोट ही अधिकतर चलन में थे किंतु अब एक सौ, पचास और बीस के नोट भी जाली आ रहे हैं।
गौरतलब है कि खासकर नेपाल के रास्ते बड़े पैमाने पर जाली नोट भारतीय क्षेत्र में पहुंच रहे हैं। समय-समय पर पुलिस व एसएसबी द्वारा जाली नोटों की बरामदी कर तस्करों व रैकेट तक पहुंचने की कोशिश भी की गई। सूत्रों के अनुसार जाली नोटों के सौदागरों का मुख्य टारगेट अब ग्रामीण बाजार एवं मवेशी हाट हैं। शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों तक इस रैकेट का जाल बिछ गया है।
सूत्र बताते हैं कि जाली नोटों को बंगला देश, पाकिस्तान व नेपाल के रास्ते सीमावर्ती क्षेत्रों तक पहुंचाया जाता है। इसका एक मात्र उद्देश्य देश की अर्थ व्यवस्था को छिन्न-भिन्न करना है। साथ ही इन जाली नोटों का इस्तेमाल आईएसआई, आतंकी एवं आपराधिक नेटवर्क अपनी गतिविधियां चलाने के लिये भी करते हैं। जिस कारण भारतीय अर्थ व्यवस्था के समक्ष खतरा उत्पन्न होता है।
ज्ञात हो कि 2010 में एसएसबी एवं कुर्साकांटा पुलिस ने संयुक्त रूप से गुप्त सूचना के आधार पर शोयेब नामक व्यक्ति को मवेशी हाट में पकड़ा था जिसके पास से पांच सौ के आठ जाली नोट बरामद किये गये थे।
बिहार पुलिस की खुफिया शाखा ने भी राज्य सरकार को 1997 एवं 2002 में ही कई पत्र लिखकर ध्यान दिलाया है कि किस तरह भारत नेपाल सीमा पर नेपाली क्षेत्र में आईएसआई का जाल बिछ रहा है। जिस कारण सरकार एवं सीमावर्ती क्षेत्र के अधिकारियों को और भी सजग रहने की जरूरत है।

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