नरपतगंज (अररिया) : खेतों की जुताई के बाद खाद की महंगी व दुकानों पर लगी लंबी कतारों को देख अब किसानों को गोबर की खाद याद आ रही है जिसकी जागरूकता के लिए सरकार और प्रशासन भारी भरकम धन राशि व्यय कर कम्पोस्ट और बर्मी जैविक खाद बनाये जाने को कहता आ रहा है। कई किसानों ने बताया डीएपी, यूरिया खाद की महंगाई से परेशान है गांव में डीएपी 1200 रु. प्रति बैग मिल रहा है। बबलू सिंह, रामईकबाल, विष्णुदेव पंडित, सुरेश गुप्ता, मोहन राय, राजू राय ने बताया फसल की सिंचाई दर महंगाई, उपर से बीज व उर्वरक की बढ़ती दाम ने किसानों का दम निकाल दिया है। डीएपी की कीमत आज प्रति बैग 12 सौ रुपये है तो आज किसानों की धान की कीमत बजार में सात सौ रुपये प्रति क्विंटल मिल रही है। पैक्स धान खरीद नही रही है। किसानों ने बताया कि गोबर की खाद खेतों में डाली होती तो आज डीएपी व यूरिया खाद के लिए भटकना न पड़ता अब तक खेतों की बुआई कर दिये रहते। यहां सवाल उठता है वर्मी कम्पोस्ट के लिए किसानों को कितना जागरूक कर पाए? कुछ किसानों का कहना है जितनी गोबर उनके पास है वह खेती के लिए पर्याप्त नही है। प्रखंड कृषि पदाधिकारी रामप्रवेश प्र.यादव का कहना है किसान रासायनिक खाद के बदले जैविक खाद का प्रयोग करें। परिणाम सार्थक मिलेंगे। वर्मी कम्पोस्ट तैयार करने के लिए किसानों को सरकार की ओर से अनुदान राशि दी जा रही है।
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