Sunday, December 18, 2011

मेगा लोक अदालत में 780 मामलों का निष्पादन


अररिया : बिहार राज्य विधिक सेवा प्राधिकार के निर्देशानुसार स्थानीय कोर्ट परिसर में रविवार को मेगा लोक अदालत आयोजित किया गया, जहां समझौते के तहत कुल 780 वादों का निष्पादन हुआ। इस मेगा लोक अदालत की अध्यक्षता प्रथम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश उमेश चंद्र मिश्रा ने की।
मेगा लोक अदालत में कुल सात बेंच लगाये गये थे। इस मौके पर बैंक लोन एवं क्लेम के लिए लगाए गए बेंच नंबर एक में फास्ट ट्रैक कोर्ट षष्टम के न्यायाधीश शैलेन्द्र कुमार सिंह, हसीमुद्दीन अंसारी समेत अधिवक्ता रीता घोष थे। इस टेबुल में बैंक ऋण के 58 तथा एक क्लेम केस का निष्पादन किया गया। इस मौके पर विभिन्न बैंकों की 41 लाख की राशि का सेटलमेंट हुआ जिसमें करीब पांच लाख राशि वसूल की गयी। ग्रामीण बैंक की जोकीहाट, कुर्साकांटा, अररिया, कुआड़ी आदि शाखाओं से आरएन दास, तनवीर अंसारी, शिवलाल प्रसाद आदि बैंक अधिकारी सक्रिय रहे। उधर, टेबुल नंबर दो में सीजेएम सत्येन्द्र रजक, प्र. श्रेणी न्या. दंडा. रवि कुमार एवं अधिवक्ता मो. अकरम हुसैन एवं उपस्थापक संजय चौबे थे। यहां कुल 368 मामलों का निष्पादन हुआ जो इस मेगा लोक अदालत में सबसे अधिक रहा। टेबुल नंबर तीन में एफटीसी चतुर्थ के न्यायाधीश जितेन्द्र नाथ दास, मुंसिफ नीरज कुमार रहे। यहां कुल 37 मामलों में मात्र एक मामले का निष्पादन हो पाया।
टेबुल नंबर चार पर मोटेशन तथा धारा 107 आदि के कुल 301 मामले निष्पादित हुये। इस जगह अररिया के एसडीओ डा. विनोद कुमार न्या. द. प्रीतम कुमार रतन मौजूद थे।
टेबुल नंबर पांच में अपराधिक वाद के कुल 37 मामले समझौता के तहत निष्पादित किये गये। एसडीजेएम किशोरी लाल, सब जज चतुर्थ एनके त्रिपाठी एवं अधिवक्ता वीणा झा ने मामलों का निष्पादन किया।
वहीं टेबुल नंबर छ: पर वन, उत्पाद, विद्युत, श्रम एवं मिनिमम वेजेज के कुल 19 मामलों का निष्पादन हुआ। इस जगह पर प्र. श्रे. न्या. दण्डा. एसके मिश्रा, बीएम त्रिपाठी, एके दीक्षित ने भाग लिया। इन टेबुल पर विभिन्न मामलों में करीब साढ़े तिरसठ हजार जुर्माना राशि वसूल की गयी।
वहीं टेबुल नंबर सात सुरक्षित टेबुल के रूप में गठित किए गये थे। हालांकि दूर-दराज से पहुंचे न्यायार्थियों को अपने मामले का निष्पादन को लेकर कई परेशानी उठानी पड़ी। वहीं कई लंबित मामले का नोटिस जारी के बावजूद उक्त वाद का निष्पादन नहीं होने की जानकारी पक्षकारों ने दी। परंतु सबसे अधिक टेबुल नंबर दो में प्रस्तुत मामलों का निष्पादन किया गया।

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