अररिया : अररिया में स्कूल खोलना सबसे आसान काम है। कोई काम नहीं मिले तो एक स्कूल खोल लो..। रोखा काम चोखा धंधा।
जानकारों की मानें तो अधिकांश निजी विद्यालयों में बच्चों की सुरक्षा के लिए किन्हीं मानक मापदंडों पर अमल नहीं होता। निजी स्कूल व कोचिंग खोलने के लिये डीईओ कार्यालय से परमीशन लेना तक गंवारा नहीं करते लोग।
पैसों के लोभ में विद्यालय के संचालक बच्चों की सुरक्षा एवं उनके रहन सहन पर ध्यान नहीं देते हैं। घास फूस की टट्टी खड़ा कर कहीं भी और किसी भी तरीके से विद्यालय शुरू कर दिया जाता है। ऐसे विद्यालयों की संख्या जिले में दर्जनों नहीं सैकड़ों में है। पैसों के लोभ में विद्यालय खोले जा रहे हैं। कथित आवासीय विद्यालयों बच्चों को छोटे छोटे कमरों में ठूंस कर रखा जाता है। सफाई का क्या हाल होगा, आप स्वयं सोच सकते हैं। जहां तक भोजन का सवाल है तो उसे देख कर सरकारी एमडीएम भी लजा जाये। विभिन्न स्कूलों से बघंडी के फल खाकर बीमार पड़ने व घटिया खाना खाकर डिहाइड्रेशन का शिकार होने की शिकायतें लगातार आती रहती है। कभी कभी तो विद्यालय के लचर प्रबंधन के कारण बच्चे स्कूल से गायब भी हो जाते हैं।
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