Monday, January 23, 2012

मुंशी प्रेमचन्द ने आम आदमी को साहित्य में दिलाया स्थान

भरगामा (अररिया) : जिला प्रगतिशील लेखक संघ के बैनर तले शनिवार की संध्या उत्क्रमित मध्य विद्यालय पैकपार में प्रगतिशील आंदोलन के अगुआ एवं उपन्यास सम्राट प्रेमचन्द विषय पर गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रगतिशील लेखक संघ के सचिव महेन्द्र नारायण पंकज ने किया। जबकि कार्यक्रम का उद्घाटन पूर्व प्रधानाचार्य बीएनएमयु मधेपुरा के प्रो. श्यामल किशोर यादव ने दीप प्रज्वलित कर किया।
विचार गोष्ठी को संबोधित करते हुए आकाशवाणी संवाददाता देवाशीष बोस ने कहा कि प्रेमचन्द के साहित्य से हमें प्रेरणा मिलती है। उन्होंने प्रेमचन्द के संबंध में 'उनके तख्त पर नहीं आज एक भी दीया, जिनके खून से जले थे, चिरागे वतन.. कह कर सुनाया। प्रो. श्यामल किशोर यादव ने कहा कि प्रेमचन्द ने पहली बार अपने साहित्य में आम लोगों को स्थान दिया। वहीं हिन्दी विभाग कामर्स कालेज के डा. विनय कुमार चौधरी ने कहा प्रेमचन्द नहीं होते तो हिंदी साहित्य में जन जीवन की समस्याओं का चित्रण संभव नहीं था। जबकि पूर्व सीडीसी, बीएन मंडल के प्रो. अमोल राय ने कहा कि प्रेमचन्द ने हमें हक और सम्मान की लड़ाई लड़ने की प्रेरणा दी। प्रमोद प्रभाकर ने कहा कि उनकी आजादी की लड़ाई में सक्रिय भूमिका रही। संगीतज्ञ पं. परीमल यादव ने बताया कि प्रेमचन्द व्यक्तित्व के धनी दे। गोष्ठी में साहित्यकार डा. दीपक कुमार राम, पंकज भारद्वाज, प्रो. शचीन्द्र, आशीष चमन, जुवेरूल हसन गाफिल, रहमान अलि राकेश, शैलबाला कुमारी, रामशरण मंडल, प्रो. अब्दुल बारी साकी, एमएच मासुम, समीम सारथी, सुभाष कुमार साह एवं पं.परीमल यादव को शाल एवं प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया।

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