रानीगंज (अररिया) : सांसारिक दुखों से छुटकारा ईश्वर की भक्ति से ही संभव है। लेकिन हम परमात्मा के स्वरूप को भूल जाते हैं। रविवार को संतमत सत्संग के दो दिवसीय कार्यक्रम के दौरान ब्रह्मालीन संत महर्षि मेंहीं परमहंश जी महाराज के शिष्य व वर्तमान आचार्य स्वामी हरिनंदन जी महाराज ने अपने प्रवचन के दौरान कही। कार्यक्रम के अंतिम दिन प्रेमनगर के सत्संग स्थल पर उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए आचार्य ने कहा कि मानव देह, धन, संपति व मोह के बंधन में बंधे रहने के कारण हीं दु:ख भोगते हैं।
दो दिनों तक चले इस सत्संग समारोह में हरिद्वार से स्वामी गुरुनंदन स्वामी जी महाराज पहुंचे थे। विभिन्न सत्रों में चले इस कार्यक्रम का आरंभ प्रात: स्तुति विनती से की गयी।
कार्यक्रम स्थल पर एक बड़ा सा मंच बनाया गया था। मंच पर महर्षि मेंही स्वामी जी महाराज का बड़ा सा तैल चित्र रखा गया था जहां आंगतुक संत व श्रद्धालु नमन करना नहीं भूल रहे थे। मंच के सामने बड़ा सा पंडाल बनाया गया था जो स्त्री, पुरुष, श्रद्धालुओं से खचाखच भरने के उपरांत सड़क के दूसरी ओर के बने पंडाल में भी आंगतुक बाबा का प्रवचन सुनने को मौजूद थे। सत्संग के व्यवस्थापक गिरानंद मंडल एवं मंटू मंडल श्रद्धालुओं एवं क्षेत्रों के आव भगत में अपने सहयोगियों के साथ तत्पर थे। कार्यक्रम का संचालन हलेश्वर यादव कर रहे थे। जबकि मंच पर इंद्रानंद बाबा, रमेश बाबा, सुधानंद बाबा एवं अन्य संत विराजमान थे। कार्यक्रम स्थल पर कुप्पाघाट से आये पुस्तक वाहन द्वारा संतमत की पुस्तके एवं तस्वीरें लोगों को उपलब्ध करायी जा रही थी।
0 comments:
Post a Comment