Tuesday, April 10, 2012

समारोह पूर्वक मनी तीन साहित्यकारों की जयंती


फारबिसगंज (अररिया) : महान साहित्यकार माखन लाल चतुर्वेदी, राहुल सांकृत्यायन एवं निर्मल वर्मा की जयंती इन्द्रधनुष साहित्य परिषद के तत्वावधान में स्थानीय द्विजदेनी उच्च विद्यालय के प्रागंण में रविवार की शाम एक साथ आयोजित की गयी। समाजसेवी कर्नल अजीत दत्त की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम में दिवंगत साहित्यकारों के तैलचित्र पर श्रद्धासुमन अर्पित कर उन्हें नमन किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में अवकाश प्राप्त न्यायाधीश झुलानंद झा उपस्थित थे।
मुख्य अतिथि श्री झा, सभाध्यक्ष कर्नल दत्त एवं डा. एनएल दास ने दिवंगत साहित्यकारों की जीवनी पर विस्तार से प्रकाश डाला। वक्ताओं ने बताया कि राहुल सांकृत्यायन 36 भाषाओं के ज्ञाता थे तथा उन्होंने 150 से अधिक पुस्तकों की रचना की। वे स्वयं एक विश्वकोष थे और एक साथ बैठक कर कई ग्रंथों की रचना कर सकते थे। उनका मूल नाम केदार पांडे था।
वहीं श्रीमती इंदु कुमारी, मांगन मिश्र मार्तण्ड, जगत नारायण दास, कृत्यानंद राय, उमाकांत दास और हर्ष नारायण दास ने माखन लाल चतुर्वेदी के बारे में बताया कि उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को काव्य रूप में पिरोकर जो प्रस्तुति की है वह अद्भुत एवं अनुपम है। उनकी कलम से रागात्मक राष्ट्रीयता के काव्य संसार का जो सागर व्याप्त है, उसकी गहराई की कोई सानी नही हैं। वक्ताओं ने पुष्प की अभिलाषा को उनकी अमर कृति बतलाई। जबकि साहित्यकार निर्मल कुमार वर्मा के विषय में कार्यक्रम के संचालन विनोद कुमार तिवारी, डा. अनुज प्रभात, हेमंत यादव शशि और रघुनंदन प्रसाद शर्मा ने कहा कि उनकी प्रयासों के कारण ही हिन्दी साहित्य में छोटी कहानियों को लोकप्रियता प्राप्त हुई एवं उनके चलन शुरू हुए। बताया कि वर्मा ने सर्वप्रथम सन 1959 में परिन्दे नामक छोटी कहानी लिखी थी। बताया कि हिन्दी साहित्य में वे बतौर कहानीकार उपान्यासकार और अनुवादक के रूप में छाये रहे।

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