Sunday, May 13, 2012

28 साल, 250 तारीखें, फिर भी न्याय की तलाश


अररिया : कोर्ट की 'बंदगी' में 28 साल गुजरे, 243 तारीखें पड़ीं, फिर भी न्याय की तलाश में दो जिंदगियां हार गईं। इस दौरान अदालत में मुवक्किल, वकील बदले, कुर्सी पर बैठे चेहरे बदल गए लेकिन नहीं हो पाया फैसला। न्याय की आस में आज दूसरी पीढ़ी न्यायालय की दौड़ लगा रही है। सुलभ, सस्ते और सहज न्याय के जुमलों के बीच यह मामला न्यायालय और न्याय की स्थिति की कलई खोल रहा है।
न्यायालय में दायर भूमि विवाद के मामलों की कोरी सच्चाई यही है कि फैसले विलंब से नहीं बहुत विलंब से हो रहे हैं। इस विलंब की मार से वादी-प्रतिवादी दोनों ही पक्ष प्रभावित हो रहे हैं।
दरअसल वर्ष 1984 में 83 डिसमिल भूमि विवाद में जोगबनी के प्रेमचंद्र साह के पुत्र रूपचंद्र साह ने अपने सगे भाई इंद्रचंद्र साह व अन्य पर न्यायालय में केस संख्या 500/84 दायर किया था।
फिलहाल यह मामला अररिया के सब जज चतुर्थ के न्यायालय में चल रहा है। इस मामले में 18 अगस्त 2009 में दायर याचिका पर सुनवाई आज तक लंबित है। 28 वर्ष पुराने इस मामले में अब तक ढाई सौ तारीखें निर्धारित हुईं। परंतु न्याय का इंतजार आज भी है। इस दौरान मामले में वादी और प्रतिवादी दोनों गुजर गए। जोगबनी के दक्षिण महेश्वरी में स्थित जमीन को लेकर दर्ज इस मामले में आज रूप चंद्र साह के पुत्र प्रकाश साह वादी हैं तो मामले में प्रतिवादी रहे इंद्रचंद्र साह के पुत्र व अन्य हैं।

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