कुर्साकांटा (अररिया) : प्रखंड क्षेत्र के लोगों को स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने वाले प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सकों की कमी के कारण स्वास्थ्य केन्द्र पहुंचने वाले रोगियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। प्रत्येक दिन आउटडोर में मरीजों की भारी भीड़ के कारण चिकित्सक को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है। वहीं मरीजों को लंबी लाईन में लगकर एवं काउंटर, पुन: चिकित्सक तक पहुंचने के लिए लंबी लाईन एवं काउंटर से दवाई पाने के लिए भी लंबी लाईन से गुजरना एक मजबूरी है। यूं तो यहां तीन चिकित्सक पदस्थापित है परंतु स्वास्थ्य केन्द्र पर एक से अधिक चिकित्सक कभी मौजूद नहीं रहते। प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डा. राजेन्द्र कुमार, डा. ओपी मंडल एवं अनुबंध पर नवनियुक्त डा. कुमार चन्दन ये तीन चिकित्सक कार्यरत हैं। एक पहुंचे नहीं कि दूसरा गायब हो जाते हैं। उच्चाधिकारियों के औचक निरीक्षण को इन्हें पूर्व सूचना मिल जाती है। ऐन मौके पर या किसी खास अवसर पर ही तीनों एक साथ देखने को मिलते हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार आकस्मिक अवकाश का आवेदन देकर जाते हैं परंतु पहुंचने के बाद उपस्थिति दर्ज कर ली जाती है।
आज बिहार विकास के पथ पर अग्रसर है। परंतु पूर्ण विकास का सपना तभी साकार हो सकता है जब सरकारी कर्मी अधिकार के साथ अपने कर्तव्यों का भी समुचित पालन करें। वास्तव में अधिकार और कर्तव्य में अंतर महसूस नहीं करना ही नैतिकता के पतन को दर्शाता है। तेरह पंचायत के लगभग 2 लाख लोगों के स्वास्थ्य इसी स्वास्थ्य केन्द्र पर आश्रित है। परंतु यहां चिकित्सक के स्वीकृत आठ पदों के स्थान पर मात्र तीन चिकित्सक पदस्थापित है। हाल ही में चुनाव कार्य में लापरवाही बरतने के आरोप में अनुबंध पर नियुक्त डा. पीके झा को जिलाधिकारी के आदेश से अनुबंध समाप्त कर दिया गया। लेकिन रिक्त पड़े पदों को भी नहीं भरा जा सका। नतीजा मरीजों कीे संख्या के अनुरूप चिकित्सक के नहीं होने के कारण देर शाम तक यहां मरीजों को तांता लगा रहता है। पहले की तुलना में पीएचसी में संसाधन तो उपलब्ध कराये जा चुके हैं दवाई भी उपलब्ध है परंतु चिकित्सक की कमी के कारण दूर-दराज से आये मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। महिला चिकित्सक के अभाव में प्रसूताओं एवं स्त्री रोग का समुचित इलाज नही हो पाता।
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