अररिया : अररिया व आसपास के इलाके में आदि देव सूर्य की आराधना की परंपरा सदियों पुरानी है। सूर्य के प्रति श्रद्धाभाव यहां के कण कण में रहा है। शायद यही श्रद्धा छठ के मौके पर जन समुद्र का रुप ले लेती है।
इतिहासकारों की मानें तो पूर्णिया प्रमंडल के पूर्वी हिस्से में सूर्य को अपना आराध्य मानने वाली एक जाति का निवास था, जिसकी हर गतिविधि सूर्य के प्रति ही समर्पित थी। इस जाति का नाम सूरजवंशी था। क्या आजकी सुरजापूरी बिरादरी का इन सूरजवंशियों से कोई ताल्लुक रहा है?
जोकीहाट के पड़ोसी कोचाधामन ब्लाक में सूर्य की एक विशाल प्रतिमा आज भी उपलब्ध है। इस प्रतिमा की उंचाई छह फीट है। यह माना जाता है कि यह स्थान सूर्य सभ्यता का केंद्र बिंदु था।
वहीं, अररिया जिले के मदनपुर मंदिर, पूर्णिया सिटी के शिव मंदिर सहित कई अन्य स्थान ऐसे हैं जहां आज भी सूर्य की प्रतिमा मौजूद है। वहीं, सूर्य उपासना के लिए ठाढ़ी व्रत की परंपरा भी इस इलाके में पुराने काल से चली आ रही है।
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