Monday, October 31, 2011

त्यौहार: परंपरा पर हावी हो रही अश्लीलता

कुर्साकांटा (अररिया) : परंपराएं हमारे गौरवशाली अतीत की गवाह हैं। अपनी सभ्यता एवं संस्कृति को हम परंपराओं के माध्यम से ही जीवित रखते हैं। परंतु बदलते परिदृश्य में अब इन मौकों पर आयोजित होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम में यह परंपरा टूटने लगी है। इनमें अब उच्छृंखलता एवं अश्लीलता घर करने लगी है। पर्व त्यौहारों पर शालीनता व स्वच्छता गौण पड़ते जा रहे हैं। इन अवसरों पर मस्ती करने वाली की संख्यां में तेजी से इजाफा होता जा रहा है। अब छठों के मुंडेर पर दीये नही बिजली के झालर लगे मिलते हैं। मुडेरों पर घी, तेल की कतारे बीते जमाने की बातें मानने लगे हैं लोग। उसी तरह दीपावली का पर्व हमें अंधकार से प्रकाश की ओर जाने की प्रेरणा देती है परंतु इन मौके पर देर रात तक जुआ खेलना एवं शराब पीकर अय्यासी करने की प्रवृति बढ़ती जा रही है। पर्व त्यौहार की वास्तविकता एवं उसके महत्व को समझने एवं अमल में लाने के बजाय आधुनिकता की आड़ में ये पर्व एक प्रतीक बनता जा रहा है।

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