Friday, February 10, 2012

प्लास्टिक थैलों से हो रहा पर्यावरण प्रदूषण


फारबिसगंज(अररिया) : दिखने में छोटी, हल्की व खूबसूरत प्लास्टिक कैरी बैग मानव जीवन के लिए बड़ा खतरा माने जाते हैं। इसके बढ़ते प्रयोग व निष्पादन की कोई ठोस व्यवस्था नहीं होने से यह पर्यावरण के लिए खतरे की घंटी बजा रहा है।
एक अनुमान के मुताबिक सिर्फ फारबिसगंज शहर में पांच से सात क्विंटल कैरी बैगों की बिक्री होती है। प्रदूषण का सिलसिला तब आरंभ होता है जब काम में आने के बाद इन कैरी बैगों को कचरे के रूप में जहां तहां फेक दिया जाता है। बायोडिग्रेडेवल नहीं होने के कारण प्लास्टिक कैरी बैग कभी सड़ता या गलता नहीं है और पर्यावरण के लिए खतरा बन जाता है।
क्या कहते हैं पर्यावरणविद:-
पर्यावरण विदों के अनुसार वनस्पति शास्त्र के वरिष्ठ शिक्षक अरविंद ठाकुर के अनुसार खेत खलिहानों में लगे फसलों के प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया में भी कैरी बैग बाधा उत्पन्न करते हैं। जबकि कई बार चरने के क्रम में पशुओं द्वारा भी निगल लिये जाने के कारण उनकी मौत हो जाती है। प्रतिवर्ष सैकड़ों पक्षियों की मौत भी प्लास्टिक प्रदूषण से हो जाती है।
गौरतलब है कि यहां जो भी कैरी बैग मिलते हैं वे दिल्ली एवं पश्चिम बंगाल से मंगाये जाते हैं जहां इसका व्यवहार पूरी तरह निषिद्ध है। हालांकि इन बैगों पर 40 माइक्रान अंकित रहते हैं लेकिन वे 20 या इससे भी कम माइक्रान के होते हैं। जिनका रिसाइक्लीन आर्थिक रूप से फायदेमंद नहीं होने के कारण ये सड़क नदी नाले एवं खेत खलिहानों में यूं ही पड़े रह कर पर्यावरण को प्रदुषित करते हैं। उल्लेखनीय है कि ऐसे गैर मानक प्लास्टिक बैगों के व्यवहार पर अंकुश लगाने हेतु प्रशासन की ओर से कोई पहल नहीं की जाती है। ना ही कोई गैर सरकारी संगठन इस दिशा में जागरूकता लाने हेतु प्रयासरत है। पर्वतारोही कर्नल अजीत दत्त के अनुसार प्लास्टिक कचरा ग्लोबल वार्मिग का कारण भी बन गया है।
कैसे हो बचाव:-
इस संबंध में विशेषज्ञों का राय है कि यदि पड़ोस के सिलीगुड़ी, रायगंज की भांति यहां भी इसके व्यवहार पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा दिया जाय तो भविष्य में इसका खतरा कम किया जा सकता है। इसके तहत तीन आर सूत्र का पालन किया जा सकता है जो कि इनकी री-यूज, रीड्यूस यानि कम उपयोग में लाना तथा रीसाइक्लिंग है। उनकी राय में वैकल्पिक व्यवस्था के तहत जूट के बैग एवं बास्केट आदि का उपयोग किया जा सकता है। हालांकि यह तभी संभव है जब सरकार द्वारा इस विकट समस्या के निदान हेतु कोई कारगर कदम उठाये जाये।

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