Saturday, February 11, 2012

भूमि दस्तावेज फर्जीवाड़ा मामले में जांच शुरू

अररिया : जिले के विभिन्न बैंकों से फर्जी दस्तावेज के आधार पर आवंटित किये ऋण मामले की जांच शुरू कर दी गयी है। जांच के प्रथम चरण में जिला प्रशासन ने एक दर्जन से अधिक बैंकों से किसान क्रेडिट कार्ड, कृषि अनुदान के मद में दी गयी ऋण के लाभुकों की सूची की मांग की गयी है। लेकिन पंद्रह दिन पूर्व मांगी गयी सूची को बैंक कर्मियों ने अब तक जिला प्रशासन को उपलब्ध नहीं करायी है। इधर पुलिस कप्तान शिवदीप लांडे का कहना है कि जब तक ऋण से संबंधित कागजात उपलब्ध नहीं हो जाते हैं तब तक लाभुकों का भौतिक सत्यापन नहीं किया जा सकता है। फिलहाल फर्जी दस्तावेज के आधार पर आवंटित की गयी ऋण के शिकार हुए लाभुक के बयान पर दोषियों को चिंहित किया जा रहा है। इस क्रम में तीन दर्ज से अधिक दलालों की सक्रियता तो सामने आयी ही है। साथ ही दलालों व बिचौलिये के माध्यम से अनुदान व किसान क्रेडिट मद के ऋण आवंटन करने वाले आधा दर्जन से अधिक बैंक कर्मियों की संलिप्तता उजागर हुई है। वहीं इस घोटाले का पर्दाफाश होते ही कई बैंक के कर्मी छुट्टी लेकर फील्ड छोड़ रहे हैं। बताया जा रहा है कि छुट्टी तो महज बहाना है, लेकिन घपले घोटाले के जद में आने का भय उन्हें ज्यादा सताने लगा है। एसपी श्री लांडे ने बताया केसीसी, कृषि अनुदान से संबंधित लाभुकों के बीच बांटी गयी ऋण का रिकार्ड वर्ष 2005 से ही खंगाला जायेगा। चूंकि वर्ष 2007 में सरकार ने इस मद के करोड़ों रूपये का ऋण किसानों को माफ कर दिया था। वर्ष 2005 से 2007 के बीच फर्जी ऋण का आवंटन व्यापक पैमाने पर हुई है। बैंक कर्मियों से रिकार्ड प्राप्त होते ही खासकर इन दो वर्षो का रिकार्ड का भौतिक सत्यापन कराना जरूरी है। ताकि यह स्पष्ट हो पायेगा कि बिचौलिये व दलाल बैंक कर्मियों की मिली भगत से कितने लाभुकों का लाभ हजम कर लिया। एसपी श्री लांडे ने बताया कि 15 दिन बाद भी जिला प्रशासन को ऋण से संबंधित रिकार्ड जिला प्रशासन को उपलब्ध नहीं कराना भी कई सवालों को जन्म दे रहा है।

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