Tuesday, February 28, 2012

साहित्यकार जनार्दन प्रसाद विकल को दी गयी अंतिम विदाई

रानीगंज (Raniganj Araria) : सारस्वत सम्मान से सम्मानित वयोवृद्ध साहित्यकार जनार्दन प्रसाद विकल को अखिल भारतीय हिन्दी साहित्य सम्मेलन द्वारा सोमवार को अंतिम विदाई सोमवार को रानीगंज में स्वजन, परिजन, बुद्धिजीवियों व साहित्य प्रेमियों की उपस्थिति में दी गयी। रविवार को उनका निधन पूर्णिया में लंबी बीमारी के उपरांत हो गया था। 21 अगस्त 1932 को रानीगंज में जन्मे विकल जी सरकारी सेवा में रह कर भी साहित्य जगत से जुड़े रहे। सन 1966 में भ्रष्टाचार निरोध गीता, नामक उनकी पहली प्रकाशित पुस्तक थी। उसके उपरांत 'भये प्रकट कृपाला', 'संत्ता किसकी', 'निशचर होन कांड मही', 'सखा सोच त्यागहु बल मोरे', 'सनरद सुखद रघुवीर' सहित 11 रचनाएं उनकी प्रकाशित हो चुकी हैं। साहित्य से युवाओं की अभिरूची कम होने को लेकर विकल जी चिन्हित रहा करते थे। सोमवार को उनके रानीगंज आवास पर एक शोक सभा आयोजित की गयी जिसमें स्थानीय बुद्धिजीवी, साहित्यकार आदि लोगों ने हिस्सा लिया।

0 comments:

Post a Comment