Sunday, May 13, 2012

बिहारी होना गौरव की बात : अली खान


बथनाहा (अररिया) : हमर नाम छ नागेश, काटे वाला नाही डसे वाला यह डायलाग है नेपाल में बन रही भोजपुरी फिल्म कयामत से कयामत तक का। जिसे फिल्म के मुख्य खलनायक नागेश चौधरी द्वारा कहा जाता है और नागेश चौधरी की भूमिका में है हिन्दी की करीब 125 फिल्मों में खल-चरित्र की भूमिका अदा करने वाले प्रसिद्ध कलाकार अलीखान।
अलीखान नेपाल के विराटनगर में भोजपुरी फिल्म कयामत से कयामत तक की शूटिंग में हिस्सा लेने के बाद शनिवार को अपने मित्र रामकुमार भगत के साथ फारबिसगंज जाने के दरम्यान कुछ क्षणों के लिए एसएसबी 24वीं बटालियन के मुख्यालय में रूकने के क्रम में मीडियाकमियों से भी रूबरू हुए।
मूलत: बिहारी मूल के अली खान ने बताया कि लगभग 30 वर्षो की मेहनत के बाद आज उन्हें एक मुकाम मुंबई फिल्म इंडस्ट्री में मिला है। हिन्दी की प्रसिद्ध फिल्म खुदा गवाह से उन्हें पहचान मिली। जिसमें उन्होंने हबीबुल्लाह का रोल किया था। इसके अलावे सरफरोश में कैप्टन शफी, तालिबान में मनीषा कोइराला के ससुर वाला किरदार, अलीबाबा 40 चोर में अभिनेता अरबाज खान के बड़े भाई का किरदार, इसके अलावा इंडियन, कोहराम, तूफान, मां तुझे सलाम सहित करीब 125 हिन्दी फिल्म के अलावे मराठी, गुजराती, तमिल, तेलगु, बंगाली, राजस्थानी एवं भोजपुरी सहित 200 से ज्यादा फिल्म कर चुके अभिनेता अलीखान ने कई धारावाहिकों में भी सहायक भूमिका निभाया है।
66 वर्षीय अली खान मूलत: बिहार के गया जिलान्तर्गत मैंगरा चोन्हा गांव में एक जमींदार परिवार से है। उनकी शिक्षा-दीक्षा भी गया से ही हुयी है। अली खान ने बताया कि जब 1980 में वह वकालत की पढ़ाई छोड़कर मुंबई पहुंचे तो वहीं के हो गए। अली खान ने कहा कि बिहारी होने का फक्र है। बिहार दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री द्वारा उन्हें मुंबई में सम्मानित भी किया गया था।

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