Thursday, February 17, 2011

आब की खैयबै हौ..

रेणुग्राम(अररिया) : अब की खैयबै हो.. सब खतम भऽ गैले हो ई पत्थर ते सब चौपट कय दे लकेय। यह व्यथा किसी एक किसान का नही बल्कि सैकड़ों ऐसे किसान है जिसे प्रकृति के कहर ने सड़क पर ला खड़ा किया है। बुधवार की दोपहर में अचानक आई ओला वृष्टि (पत्थरों की बारिश) ने फारबिसगंज प्रखंडों के किसानों के अरमान ही नही भविष्य के कई सपने भी ध्वस्त कर दिये। पिछले कई वर्षो के प्राकृतिक आपदा से ग्रस्त इस क्षेत्र के किसानों का जन-जीवन एकाएक अस्त-व्यस्त हो गया है। किसानों की हजारों एकड़ में लगी गेहूं, मकई आदि की फसल बर्बाद हो गई। बेरहम बादल ने किसानों की कम तोड़ दी है। दर्जनों गांवों के कई किसानों ने अपनी क्षति की व्यथा बताते हुए कहा कि कर्ज लेकर गेहूं की खेती की थी पर सब चौपट हो गया। ज्ञात हो कि ओलावृष्टि से कुड़वा, भिरूआ, सिमराहा, हिंगना, औराही, हल्दिया, मानिकपुर, वोकड़ा, डोड़िया, पुरन्दाहा, अहमदपुर, मदारगंज, सुखसेना टेढ़ी सहित आस-पास के दर्जनों गांव में लगी गेहूं, मकई, सरसों आदि फसल ओलो की बरसात से नष्ट हो गई। पीड़ित किसान औराही सुशील ने बताया कि 10 बीघा में उन्होंने गेहूं की खेती की थी। 2000 रु. क्विंटल बीज खरीद कर गेहूं की खेती की थी। सब नष्ट हो गया। यही हाल किसान अमर का है। सैकड़ों ऐसे किसान प्रकाश मजहर, नसीम, अजहर, ओम प्रकाश आदि ने बताया कि ओला वृष्टि से फसल बर्बाद हो गई है। इस स्थिति के कारण उनके समक्ष भुखों से मरने की नौबत आ गई है। ऐसे में उन्हें सहायता की दरकार है लेकिन किसानों के दर्द को कोई महसूस करने वाला कोई नजर नही आता।

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