अररिया : लंबे समय से लंबित पड़े एक आपराधिक मामले में जिला अभिलेखागार के प्रभारी उप समाहत्र्ता द्वारा मूल रिकार्ड कोर्ट में दाखिल नहीं किये जाने पर न्यायालय ने आपत्ति व्यक्त की है। इस बात को गंभीरता से लेते प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत ने भारतीय संविधान की मूल भावना का हनन मानते हुए अररिया के जिला पदाधिकारी को नोटिस जारी किया है।
विदित हो कि अररिया के प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी ब्रजेश मणि त्रिपाठी की अदालत में एसजीआर 723/96 के तहत एक मामला लंबित है। इस मामले के आरोपी शिवलाल राठौर कोर्ट द्वारा पिछले 05 नवंबर 07 को फारारी घोषित कर दिया। पूर्व न्यायिक अधिकारी ए. कुमार ने उस वक्त इस केस के मूल रिकार्ड को अररिया के जिला अभिलेखागार में जमा करवा दी। इस बीच आरोपी पुलिस के गिरफ्त में आ गया तथा पिछले 04 मार्च 11 से अररिया जेल में बंद है। आरोपी द्वारा दायर जमानत अर्जी के बाद 20 जून 11, को जिला अभिलेखागार, अररिया से जमा किए गये उक्त रिकार्ड की मांग हुयी। इसके बाद 20 दिसंबर 11 को रिमांडर भेजा गया तथा कारण बताओ नोटिस प्रभारी उपसमाहत्र्ता को दिया गया। फिर भी उक्त मूल रिकार्ड कोर्ट में दाखिल नहीं हुआ। इसके बाद 05 अप्रैल 12 को कारण पृच्छा नोटिस भी जारी हुई। इस तरह इस केस में तारीख-दर-तारीख पड़ती गयी।
तत्पश्चात 10 मई 12 को उक्त कोर्ट में अररिया के जिला पदाधिकारी को इस मामले में जिम्मेदारी सौंपते नोटिस जारी किया है। न्यायालय ने इस मामले को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के मूल अधिकार का हनन कहा है तथा इस बात का दायित्व उप समाहत्र्ता प्रभारी के होने की बात कही है।
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