Monday, January 3, 2011

ठंड ने जिंदगी की रफ्तार पर लगाया ब्रेक

अररिया : पछुआ सर्द हवा व कोहरे के साथ बढ़ी ठंड ने जन जीवन अस्त व्यस्त कर दिया है। नये साल की दस्तक के साथ ही मौसम ने जो करवट बदला तो लोगों के हाथ कंपकपा उठे। शनिवार को हुई झमाझम बारिश के साथ ही जिले क तापमान और नीचे चल गया है तथा लोग अपने-अपने घरों में दुबकने को विवश हो गये हैं। सड़कों पर आवाजाही बिल्कुल कम हो गयी है तथा लोगों क व्यवसाय भी प्रभावित हो गया है। यहां तक निजी व सरकारी कार्यालयों में भी उपस्थिति कम दर्ज हो रही है। वहीं ठंड से बचाव के लिए न तो शहरी क्षेत्र में और न ही ग्रामीण क्षेत्रों में अब तक कोई प्रशासनिक प्रथम शुरू नहीं किये गये हैं। यूं तो देश की राजधानी समेत आस पास के कई राज्यों में बीते वर्ष के आखिरी माह से ही ठंड ने अपनी रंगत दिखानी शुरू कर दी थी। खासकर दिल्ली का तापमान वर्ष 2010 के 15 दिसंबर के बाद से लगातार खिसक कर पांच से दस डिग्री तक चलता आ रहा है। किंतु बिहार में बीते दिसंबर माह तक ठंड ने विकराल रूप धारण नहीं किया था। खासकर बिहार के सीमांचल क्षेत्र में दिसंबर माह मं भी लगातार सूर्य के दर्शन होते आ रहे थे। जिससे ठंड का बहुत ज्यादा असर आम जीवन पर नहीं पड़ा था। लेकिन दिसंबर माह की समाप्ति के साथ ही अचानक मौसम ने अपना मिजाज बदला और सर्द पछुआ के हवा के झोंके ने हाड़ कंपाने वाली ठंड यहां भी उतार दिया। बीते माह के आखिरी सप्ताह से ही यहां सूर्य और बादलों के बीच लुका-छिपी का खेल शुरू हो गया। 30 दिसंबर को तो 12 बजे के बाद ही लोगों को सूर्य का दर्शन हो पाया। लेकिन 31 दिसंबर को पूरा दिन छिप-छिप कर सूर्य निकला और शाम होते-होते ठंड ने लोगों को अलाव तलाशने को मजबूर कर दिया। फिर नये साल का पहला दिन तो ठंड ने मानों विकराल रूप ही धारण कर लिया। सर्द पछुआ हवा के साथ बारिश की बौछार ने तापमान को अररिया के 10 डिग्री पर कर दिया। अधिकांश लोग पहली जनवरी को भी बाहर घूमने के बजाय घरों में रजाई के नीचे ही दुबकने को मजबूर हो गये। हालांकि काफी दिनों बाद हुई बारिश ने किसानों को राहत जरूर दी। पानी की कमी के कारण बर्बाद हो रहे रबी की फसल को जीवनदान जरूर मिला। गेहूं व मक्का की फसल में सिंचाई के लिए जहां किसान महंगे डीजल खरीदने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे थे वहीं बारिश की बौछार ने उन्हें राहत दिलाई। लेकिन इसके साथ ही बढ़ी ठंड ने उनका घर से निकलना मुश्किल कर दिया है। खासकर दिहाड़ी पर काम करने वाले मजदूरों का बुरा हाल हो गया है। ठंड के कारण वे काम के लिए घर से बाहर नहीं जा पा रहे हैं। वहीं शहरों में चल रहे निर्माण कार्य भी प्रभावित है जिससे उनकी परेशानी और बढ़ गयी है। वहीं स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति भी काफी कम हो गयी है। जबकि निजी विद्यालयों में अब भी सुबह-सवेरे बच्चे ठिठुरते हुए पहुंचते हुए देखे जा रहे हैं। उधर ठंड के कारण प्राइवेट व सरकारी दफ्तरों में भी कर्मियों व लाभुकों की उपस्थिति कम नजर आ रही है। कुल मिलाकर पूरा जन जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। जबकि प्रशासन अब भी ठंड से बचाव के लिए कोई उपाय नहीं शुरू कर पायी है। सरकार की ओर से क्षेत्र में विभिन्न चौक चौराहों पर अलाव जलाने की व्यवस्था का निर्देश दिया गया था। लेकिन जिले में यह व्यवस्था अब तक लागू नहीं किया गया है। इस संबंध में नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी से जानकारी लेने का प्रयास किया गया किंतु शहर से बाहर रहने के कारण उनसे संपर्क नहीं हो पाया।

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