Tuesday, March 15, 2011

विस्थापित परिवारों को अब तक पुनर्वास नहीं


सिकटी(अररिया) : प्रखंड से होकर बहने वाली बकरा और नूना नदी के कटाव से अब तक विस्थापित हुए सैकड़ों परिवार का अब तक पुनर्वास नहीं कराया जा सका है। वहीं नदियों के कहर से उनके हजारों एकड़ उपजाऊ जमीन रेत का मैदान बन गये हैं। बकरा नदी के कटाव से गत वर्ष तीरा के अधोरी बहरदार, खारदह के गणेश झा, दिनेश झा एवं झुलो झा, पड़रिया के लुचाई सुतिहार, उत्तम लाल मंडल, हीरानंद राय, रामानंद राय एवं घुटर राय के घर नूना नदी में विलीन हो गये। उसके बाद से आज तक वे लोग खानाबदोश सी जिंदगी जीने को विवश हैं। वहीं बकरा नदी के कटाव से विगत वर्षो में संथाल टोला पीरगंज, जागिर, पड़रिया मंडल टोला के एक दर्जन से अधिक लोगों के अलावा प्रावि नेमुआ मुसहरी टोला का भवन भी नदी में समा गया। इनमें से मात्र कुछ परिवारों को इंदिरा आवास योजना के तहत लाभान्वित किया गया है। शेष आज भी विस्थापन का दंश झेल रहे हैं। वहीं पूर्वी भाग से होकर बहने वाली नूना नदी के कटान से गत वर्ष सिंहिया के गयानंद यादव, बिजली यादव, चंद्रशेखर महतो तथा खान टोला पड़रिया के रहीम खान, मुख्तार खान, इसमाइल खान विस्थापित हुए हैं। जबकि इससे पूर्व खोरागाछ औलाबाड़ी गांव के भी कई परिवार का घर नदी में कटा है। वहीं रानीकट्टा से कालू चौक पूरब वलीगढ़ तक की हजारों एकड़ उपजाऊ जमीन रेत का मैदान बन चुका है। इसके अलावा सैदाबाद, सोनापुर, रानीकट्टा, डैनिया, तीरा, खारदह, ठेंगापुर, ढंगरी, बैरगाछी, डेढुआ गांव के हजारों एकड़ जमीन पर भी बालू भर जाने से उपजाऊ जमीन बर्बाद हो चुकी है। जहां कृषि कार्य करना संभव नहीं रह गया है। बहरहाल इस प्रखंड के विस्थापित सैकड़ों परिवार प्रशासन उपेक्षा दंश के कारण आज भी विस्थापित की जिंदगी जी रहे है।

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