सिकटी(अररिया) : नूना नदी ने पड़रिया पंचायत के बलीगढ़ गांव को विकास की रोशनी से दूर कर दिया है। नूना नदी के कहर ने इस गांव की सड़क को खंडित कर सड़क विहीन बना दिया है। साथ ही उपजाऊ खेतों में बालू भरकर उसकी उर्वरा शक्ति को खत्म कर दिया है। जिस कारण गांव की जमीन रेत का मैदान बनकर रह गया है।
बतातें चले कि कभी राजा महाराजा का गढ़ रहा यह गांव इलाके के ऐतिहासिक धरोहर के रूप में जाना जाता है। यहां आज भी मौजूद राजा की गढ़ी नुमा किले की खुदाई में प्राचीन काल के वर्गकार ईंट मिलते हैं। कहा जाता है कि सैकड़ों वर्ष पूर्व इस गढ़ी के अंदर एक कुंआ था जिससे लोगों को सामूहिक कार्यक्रम में बर्तन बिन मांगे मिल जाता था और काम के बाद उसे लोग वापस साफ सुथरा कर कुंआ में डाल देते थे। जो कालांतर में खत्म हो गया है। इस ऐतिहासिक गांव की सड़क जो कालू चौक से निकलकर गांव तक जाती है आज नूना नदी के कहर से खंडित है। बाढ़ के समय लोग केला पेड़(थाम) का नाव बनाकर जान जोखिम में डालकर रास्ता पार करते हैं। एक अदद नाव भी प्रशासन द्वारा उपलब्ध नहीं कराया गया है। उपजाऊ खेत में रेत के टीले ने इसे सपाट मैदान बनाकर रख दिया है। बिजली, पानी, स्वास्थ्य, शिक्षा से मरहूम यह गांव गरीबी का कहर भी झेल रही है। बाढ़ के समय अगर कोई गंभीर रूप में बीमार पड़ जाये तो इलाज भगवान के भरोसे होता है।
जनप्रतिनिधि एवं प्रशासनिक उपेक्षा से लोग जिल्लत की जिंदगी जी रहे हैं। स्थानीय स्तर पर इस समस्या का समाधान संभव नहीं है जब तक नदी की समस्या का निदान नहीं होगा इस गांव की तकदीर भगवान भरोसे है।
बहरहाल इस गांव को किसी उद्धारक की तलाश है।
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