फारबिसगंज(अररिया) : जोकरों की दुनियां भी निराली होती है। दूसरों के चेहरे पर हंसी लाकर आत्म संतुष्टि का भाव। ढाई फुट लंबे इमाम फारबिसगंज मेले में चल रहे सर्कस में दूसरों को हंसाने का काम करते हैं।
आमतौर पर बौना होना कोई पसंद नहीं करता है। लेकिन कुछ माह पूर्व ही सर्कस में अपने कैरियर की शुरूआत करने वाला मो. इमाम ढाई फुट का है और वे अपने इसी नाटेपन से जहां धनोपार्जन कर रहे हैं वहीं दूसरों के बीच खुशियां बांटने में लगे हैं।
24 वर्षीय इमाम मरियम सर्कस में जोकर बनकर दर्शकों के बीच आते हैं और बनावटी हरकतें करते हैं। उनकी हरकत पर बच्चे, बूढ़े जवान महिलाएं सभी खिल खिला उठते हैं। इनकी हंसी देख इमाम को लगता है कि जीवन सार्थक हो गया। जोकर इमाम दूसरों को हंसाकर खुशी पाता है। मरियम सर्कस में इमाम जैसे कई अन्य जोकर भी है जो अवसाद और भाग दौड़ से भरी लोगों की जिंदगी में कुछ पल के लिए खुशी देकर मनोरंजन का साधन बने हुए है। जोकरों को देखकर दर्शकों की हंसी छूट पड़ती है।
इंटर पास मो. इमाम सर्कस में काम करने से पहले सुपौल जिला के सिंहेश्वर स्थित अपने झिटकिया गांव में ही घर पर बच्चों को पढ़ाते थे। करीब छह माह पूर्व गांव के ही एक युवक ने मरियम सर्कस में जोकर का काम करने की सलाह दी। फिर क्या था तीन भाईयों में घर के सबसे बडे़ बेटे इमाम ने पिता मो. जफीर से इजाजत ली और 50 वर्ष पुराने मरियम सर्कस में ज्वाइन कर लिया। जोकर बन गया इमाम और हंसी खुशी के कुछ पल सबको बांटने लगा।
सर्कस की मालकिन केरल की रोज मैरी, मैनेजर रघुनाथ दत्त सहित अन्य कलाकारों का भी सर्कस के जोकरों को प्यार और सहयोग मिलता है। इमाम बताता है कि शुरू में तो नाटा कद होने पर मन में ग्लानि होती थी।
भाईयों में सबसे बड़ा इमाम कद में सबसे छोटा है। उसकी मां भी कद में छोटी है। लेकिन घर वालों के स्नेह और खुद आत्मविश्वास ने इमाम को बौना होने की ग्लानि से बाहर निकाल दिया। उन्होंने सरकारी नौकरी पाने के लिए परीक्षाएं भी दी। लेकिन संतुष्टि मिली सर्कस में जोकर का काम कर। इमाम कहता है कि दूसरों को हंसाने में बड़ा मजा आता है। जब लोग हंस हंस कर लोट-पोट हो जाते हैं और उनकी तालियां गूंजने लगती है तो आनंद आ जाता है। इमाम के अलावा सर्कस में दरभंगा के संतोष और आंध्र प्रदेश के पुटिया भी जोकर के रूप में हैं, लेकिन इमाम इन सब में खास हैं।
आग का खेल दिखाने वाले युवक संजय भी अपनी प्रदर्शनी के दौरान इमाम को खेल में शामिल कर लेता है। लेकिन सर्कस में जोकरों का विशेष नाटकीय खेल अलग से रहता है जो सर्कस के सभी कार्यक्रमों से दर्शकों को जोड़े रखने का काम करता है।
0 comments:
Post a Comment