अररिया : सड़क, संचार व खुली अंतरराष्ट्रीय सीमा का लाभ उठाकर तस्कर गिरोह लगातार सक्रिय बने हुए हैं। हालांकि एसएसबी ने विगत पांच सालों में 6.6 करोड़ रुपये मूल्य की तस्करी के सामान पकड़े हैं, फिर भी तस्करी पर नियंत्रण पुलिस के लिए अब भी एक बड़ी चुनौती है। पुलिस कप्तान शिवदीप लांडे द्वारा विगत एक सप्ताह से खाद तस्करों के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान से आशा की किरण जरूर जगी है।
आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो पांच साल में छह करोड़ 59 लाख 40 हजार 126 रुपये के सामान सहित 63 लोगों को पकड़ा गया। इसमें नशीली दवा, मादक द्रव्य, लाल चंदन, वन उत्पाद सहित जाली करेंसी व मूर्तियां भी शामिल हैं।
लेकिन सबसे चिंताजनक यह है कि नेपाल के रास्ते बड़ी मात्रा में हथियार भी इस ओर लाए जा रहे हैं। आंकड़े बताते हैं कि एसएसबी व पुलिस ने डेढ़ दर्जन पिस्तौल, राइफल व गोलियां भी पकड़ी हैं। बताया जाता है कि ये हथियार चीन से आते हैं तथा खासा व तातोपानी बार्डर के रास्ते इन्हें पहले नेपाल फिर भारत में भेजा जाता है।
इतना ही नहीं पोरस बार्डर का फायदा उठा कर भारत विरोधी लोग भी आराम से आते जाते रहते हैं। ज्ञात रहे कि आफताब नामक कथित आतंकी भी इसी बार्डर से पाकिस्तान गया था।
जानकारों की मानें तो एसएसबी की कड़ाई के बाद तस्कर गिरोहों ने महिलाओं व बच्चों को माल के कैरियर के रूप में इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है।
वहीं, बार्डर पर संचार व सड़क सुविधाओं को दुरुस्त करने की दिशा में कोई काम होता नहीं दिख रहा है। यह सच है कि प्रशासन ने विभिन्न बैठकों के दौरान हालात पर चिंता जरूर जताई है, लेकिन धरातल पर कोई खास सजगता नजर नहीं आ रही।
बाक्स के लिए
एसएसबी द्वारा पकड़े गये तस्करी के सामान:
वर्ष सीजर का मूल्य गिरफ्तारी
2007 5,24,936 1
2008 12,08,628 3
2009 1,33,47,432 5
2010 3,92,32,637 40
2011 1,16,26,529 14
पकड़े गए सामानों का विवरण
हथियार - पिस्तौल- 12, रायफल- 1
नशीली दवा- गांजा- 125 किलो, हेरोइन- 3.5 किलो, चरस- 1 किलो
चंदन/लकड़ी- 99 पीस लाल चंदन,
आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो पांच साल में छह करोड़ 59 लाख 40 हजार 126 रुपये के सामान सहित 63 लोगों को पकड़ा गया। इसमें नशीली दवा, मादक द्रव्य, लाल चंदन, वन उत्पाद सहित जाली करेंसी व मूर्तियां भी शामिल हैं।
लेकिन सबसे चिंताजनक यह है कि नेपाल के रास्ते बड़ी मात्रा में हथियार भी इस ओर लाए जा रहे हैं। आंकड़े बताते हैं कि एसएसबी व पुलिस ने डेढ़ दर्जन पिस्तौल, राइफल व गोलियां भी पकड़ी हैं। बताया जाता है कि ये हथियार चीन से आते हैं तथा खासा व तातोपानी बार्डर के रास्ते इन्हें पहले नेपाल फिर भारत में भेजा जाता है।
इतना ही नहीं पोरस बार्डर का फायदा उठा कर भारत विरोधी लोग भी आराम से आते जाते रहते हैं। ज्ञात रहे कि आफताब नामक कथित आतंकी भी इसी बार्डर से पाकिस्तान गया था।
जानकारों की मानें तो एसएसबी की कड़ाई के बाद तस्कर गिरोहों ने महिलाओं व बच्चों को माल के कैरियर के रूप में इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है।
वहीं, बार्डर पर संचार व सड़क सुविधाओं को दुरुस्त करने की दिशा में कोई काम होता नहीं दिख रहा है। यह सच है कि प्रशासन ने विभिन्न बैठकों के दौरान हालात पर चिंता जरूर जताई है, लेकिन धरातल पर कोई खास सजगता नजर नहीं आ रही।
बाक्स के लिए
एसएसबी द्वारा पकड़े गये तस्करी के सामान:
वर्ष सीजर का मूल्य गिरफ्तारी
2007 5,24,936 1
2008 12,08,628 3
2009 1,33,47,432 5
2010 3,92,32,637 40
2011 1,16,26,529 14
पकड़े गए सामानों का विवरण
हथियार - पिस्तौल- 12, रायफल- 1
नशीली दवा- गांजा- 125 किलो, हेरोइन- 3.5 किलो, चरस- 1 किलो
चंदन/लकड़ी- 99 पीस लाल चंदन,
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