Monday, July 2, 2012

आधी आबादी के सपनों को लगे पंख


जोकीहाट,(अररिया) : यह आधी आबादी के सपनों को पंख लगने जैसा है। खासकर उस जोकीहाट में जहां नब्बे के दशक में बमुश्किल पांच छह फीसदी लड़कियां लिखना पढ़ना जानती थी। यह किसी चमत्कार से कम नहीं कि इस इलाके में अब लड़कियां लड़कों की तुलना में पढ़ाई के प्रति ज्यादा सजग हैं। बीईओ व अभिभावकों की मानें तो यह सब सरकार की योजनाओं का प्रतिफल है।
करीब एक दशक पूर्व तक स्कूलों में पढ़ने गांवों की गिनी चुनी लड़कियां ही जाया करती थी। लड़कियों को स्कूल भेजना उसूल के खिलाफ था। उच्च व मध्यम आय वाले ग्रामीणों की लड़कियां ही स्कूलों में जाकर पढ़ाई करती थी। लेकिन अब बड़े छोटे सभी घरों की लड़कियों ने कुछ कर दिखाने का सपना लेकर स्कूल की राह पकड़ ली है। प्रखंड की अधिकांश आबादी अल्पसंख्यकों की है। इसके बावजूद स्कूलों में उपस्थिति के मामले में लड़कियां अपना दबदबा दिखाकर इतिहास रच रही हैं।
इस सिलसिले में आमवि जोकीहाट के प्रधानाध्यापक सह डीडीओ मो. शमीम अख्तर का कहना है कि लड़के स्कूल के नाम से घर से चलते हैं और बाजार में आकर मटरगश्ती करते रहते हैं लेकिन लड़कियां ऐसा नही करती। वे रोज समयानुसार विद्यालय आती है और पठन-पाठन में काफी संवेदनशील रहती है। प्रधानाध्यापक श्री अख्तर ने बताया कि मेरे विद्यालय में भी लड़कों की अपेक्षा लड़कियों की उपस्थिति अधिक रहती है। मवि जहानपुर, मवि चकई,मवि काकन, मवि बहारबाड़ी, मवि उखवां, महलगांव, बागनगर एवं अधिकांश प्राथमिक विद्यालयों में भी लड़कियों की अधिक उपस्थिति देखी जा रही है।
क्या कहती है लड़कियां-
स्कूली छात्राओं का कहना है कि शिक्षा के बल पर ही हम कुछ कर सकते हैं। नारी सशक्तिकरण का जमाना है। शिक्षा के बल पर हम संस्कारवान हो सकते हैं। मध्य विद्यालय चकई की शाहीन, तारण की नाजिया, केसर्रा की मीना ने बताया कि हमारे पिताजी किसान हैं । पढ़ाई के लिए हमें शहरों में भेजने की उनके पास पैसे नहीं हैं। हमें तो हर हाल में गांव में रहकर ही पढ़ाई करनी है। कई लड़कियों ने शिक्षा हासिल कर इंजीनियर डाक्टर भी बनने की मंशा जाहिर की।
क्या कहते हैं प्रधानाध्यापक-
मवि जहानपुर के प्रधानाध्यापक मरगुब आलम, मवि उखवां के मो. साबिर आलम, मवि रानी के मंजुर आलम का कहना है कि विद्यालयों में दिनोंदिन लड़कों की अपेक्षा लड़कियों का दबदबा हर मामले में बढ़ता जा रहा हैे। प्रधानाध्यापकों ने कहा कि उपस्थिति के मामले में तो लड़कियां आगे हैं हीं खासकर विद्यालय के अन्य गतिविधियों जैसे अनुशासन,साफ सफाई ,सांस्कृतिक कार्यक्रम हो या खेलकूद आदि में अब लड़कियां बेहतर प्रदर्शन कर रही है।
क्या कहते हैं शिक्षा पदाधिकारी-
प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी गयासुद्दीन अंसारी का कहना है कि विद्यालय में एमडीएम,पोशाक राशि,साईकिल राशि मुहैया कराने से भी स्कूलों में छात्राओं की तादाद में इजाफा हुआ है। साईकिल से अब पांच छह किमी दूर से मी लड़कियां विद्यालय आकर तालिम हासिल कर लेती है।
क्या कहते हैं अभिभावक-
स्कूली छात्राओं के माता-पिता का कहना है कि पहले तो लड़कों की पढ़ाई में हम अपना ध्यान रखते थे। अब जब सरकार के तरफ से भी स्कूलों में कई सुविधाएं लड़कियों को दी जा रही है तो हम भी बेटी की पढ़ाई में मदद के लिए तैयार हैं।
जो भी हो लड़कियों के पठन-पाठन में बढ़ रही गतिविधि से यह कहा जा सकता है कि वह दिन अब दूर नहीं जब गांव की लड़कियां भी लड़कों की बराबरी हर क्षेत्र में करती नजर आएगी।

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