Sunday, June 17, 2012

मैला आंचल में बच्चे पेड़ तले बांचते हैं पोथी


अररिया : अमर कथा शिल्पी फणीश्वर नाथ रेणु के मैला आंचल में शिक्षा जगत की मैल निकलने में अभी शायद लंबा वक्त लगेगा। यहां के नौनिहाल आज भी वृक्षों की छांव में पढ़ने को विवश हैं। केंद्र हो या राज्य सरकार सर्व शिक्षा अभियान के नाम पर अरबों रुपया प्रति वर्ष खर्च कर रही है। इसके बावजूद यहां के जिज्ञासु बच्चों को स्कूल भवन नसीब नही है। अररिया में भी सर्व शिक्षा अभियान के माध्यम से करीब एक अरब रुपया प्रति वर्ष आवंटित हो रहा है, खर्च भी किया जा रहा है, परंतु आज भी जिले में सैकड़ों स्कूलों का भवन नही बन पाया।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार जिले में आज भी 305 विद्यालयों का भवन भूमि के अभाव में नही बन पाया है। अररिया शहर के वार्ड नं. 9 स्थित कोल्ड स्टोर के निकट संचालित प्रावि भगत टोला पिछले 15 वर्षो से भूमि व भवन की बाट जोह रहा है।
यह संख्या अभी और बढ़ने के आसार है। क्योंकि शिक्षा विभाग ने हाल के दिनों में जिले के लिए 296 नये विद्यालय खोलने की अनुमति दी है। अब इसके लिए भी भूमि व भवन की आवश्यकता होगी।
अररिया जिला पहले से ही साक्षरता दर में फिसड्डी साबित है। इसके बावजूद इसे बढ़ावा देने के लिए छोटे-छोटे बच्चों को शिक्षा दिलाने के उद्देश्य से भूमिहीन विद्यालय को भूमि उपलब्ध नहीं कराना तथा भवनहीन स्कूलों को भवन देने में कोताही बरतना आपराधिक लापरवाही से कम नहीं। यह बच्चों को शिक्षा के अधिकार से वंचित करना तथा उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ करने जैसा प्रतीत होता है।
क्या कहते हैं विभागीय अधिकारी:- इस संबंध में शिक्षा विभाग के डीपीओ सह प्रभारी डीईओ बसंत कुमार का कहना है कि एसएसए के वार्षिक बजट के अनुसार ही भवन का कार्य होता है। श्री कुमार ने कहा कि प्रत्येक वर्ष भवन निर्माण कराये जा रहे हैं। हाल हीं में 62 भवनहीन विद्यालयों को भूमि उपलब्ध कराकर भवन निर्माण कार्य आरंभ कराया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जल्द ही भवनहीन स्कूलों में भी भवन की व्यवस्था की जायेगी।

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