Thursday, December 30, 2010

स्पीडी ट्रायल से अपराध नियंत्रण में मदद

अररिया : सीमावर्ती अररिया जिले में अपराध कर्मियों ने अपराध करने के तौर-तरीके तो बदल दी है, तो दूसरी ओर अपराध पर काबू पाने का कान्सेप्ट भी बदलता जा रहा है। इस स्थिति में स्पीडी ट्रायल का प्रभाव दिनों दिन बढ़ता जा रहा है, जिससे अपराधकर्मियोंका मनोबल टूटने लगा है। विदित हो कि इस इलेक्ट्रानिक युग में अपराधकर्मियों ने अपने कार्य को अंजाम देने के लिये नीत नये कारनामें कर रहे हैं। वहीं भारत-नेपाल का यह शरहदी ईलाका तस्करों, तस्करनुमा लोगों तथा सफेदपोशी के चंगुल में है। इस स्थिति में अदालत अपनी कानूनी प्रकिया तो अपनाती रही है, परंतु उक्त आदेश के पालन करने वाले लोग कुंभकर्ण निंद्रा में सोये है। हालांकि जिले में स्पीडी ट्रायल के प्रभाव लगातार बढ़ रहा है तथा इससे अपराधकर्मियों का मनोबल टूटा है। लेकिन अपराध कर्मियों ने जारी नये फर्मूले के कारण जिले में अपराधिक गतिविधियों पर लगाम लगाना टेढ़ी खीर हो गयी है। स्पीडी ट्रायल के बावजूद अपराध के खिलाफ इस्तेमाल होने वाला हथियार के रूप में देखा जा रहा है। जो कानून-व्यवस्था को पटरी पर ला सकें। साथ हीं अपराध कर्मियों में भी इस बात का डर हो चुका है कि अगर अपराध करेंगे तो सजा पाये लोगों की तरह उन्हें भी स्पीडी ट्रायल का सामना करना होगा। उधर लंबित मामलों के बढ़ते रफ्तार पर काबू के लिये कई वैकल्पिक न्याय व्यवस्था की गयी है। साथ ही अररिया में छ: फास्ट ट्रेक कोर्ट में अतिरिक्त कई अदालत है जहां स्पीडी ट्रायल के तहत मामले का निष्पादन होना है। पर अब भी उम्र दराज कानून के तहत मामले का बिचारण चर्चा में है। उधर अपराधिक मामलों में सम्मन व वारंट का तामिला पुलिस प्रशासन की तत्परता पर निर्भर है। साथ् ही अपने मंसूबे पूरे नहीं होने के कारण असमाजिक तत्व व गांव के जिम्मेदार लोग बिना अपराध किये भी भले लोगों को शिकार बनाकर दर्ज मामले में घसीटने को बेताब है। जिससे अनुसंधान में अर्से लग जाते है तो इस बीच अदालती कार्य बाधित रहता हैं, तो दूसरी ओर प्रशासनिक तत्परता का इस बावत घोर अभाव कहा जाता है। इस कारण भी अनेकों मामले अनुसंधान की प्रतीक्षा में अदालत में पड़े है। अधिवक्ताओं का कहना है कि फास्ट ट्रैक कोर्ट की गवाही कोर्ट सुस्त रफ्तार से न्यायार्थीगण परेशान हैं। सुनवाई की धीमी रफ्तार देख लोगों का कहना है कि यह मकसद धीरे-धीरे अपने मुकाम से दूर हो रहा है।
बावजूद स्पीडी ट्रायल के तहत जारी मामलों के निष्पादन का लक्ष्य से पुलिस-प्रशासन ने चैन की सांस ली है।

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