Thursday, December 30, 2010

बकरा नदी पार करने को ले चचरी का ही सहारा

सिकटी (अररिया) : विकास की इस दौर में जहां ग्रामीण क्षेत्रों में यातायात को सुगम बनाने के लिए जहां लाखों-करोड़ों रुपये खर्च किये जा रहे है, वहीं आज भी कई जगह चचरी पुल आवागमन का सहारा बना हुआ है। बकरा नदी मे पड़रिया घाट, तीरा घाट, ढंगरी घाट व भूना नदी में भी जगह-जगह घाटों पर पुल दिया गया है। इस चचरी पुल से प्रति दिन हजारों ग्रामीण आवाजाही करते है। प्रखंड क्षेत्र के पूर्वी भाग, दहगामा, पडरिया, कुचाहा पंचायत के ग्रामीणों को प्रखंड मुख्यालय तक आने में नूना नदी में बना चचरी पुल ही एक मात्र सहारा है। वहीं कुर्साकांटा प्रखंड मुख्यालय तक जाने के लिए बकरा नदी में बना चचरी पुल पार करना पड़ता है। यातायात को सुगम बनाने के लिए ग्रामीणों द्वारा चचरी पुल बनाया जाता है। जहां इस चचरी पुल को पार करने में ग्रामीणों को टैक्स देना पड़ता है। जनप्रतिनिधियों व प्रशासन के उदासीनता से नदियों में चचरी पुल ग्रामीणों द्वारा बनाया जाता है। ग्रामीणों ने बताया कि प्रति व्यक्ति पांच रुपये, साइकिल सात रुपये एवं मोटर साइकिल चढ़ाने पर दस से पंद्रह रुपये लिये जाते है। इस चचरी पुल को देख विकास की सच्चाई कितनी सार्थक है यह इसकी कहानी खुद बयां करती है। ग्रामीणों को मलाल है कि जनप्रतिनिधियों व प्रशासन के सिर्फ घोषणा करते है इस जगह स्थायी पुल आज तक नहीं बन पाया। इस जर्जर चचरी पुल से ग्रामीण को जान जोखिम डालकर आवागमन करते है। कुचहा के ग्रामीणों ने बताया कि सड़क भी जगह-जगह कटिंग रहने के कारण आवागमन में भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

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