Saturday, January 1, 2011

पुल के अभाव में नहीं बदल रही गांवों की किस्मत

अररिया : बनगामा, देवरिया, घघरी, पैकटोला, व कमलदाहा जैसे दो दर्जन से ज्यादा गांवों के साथ एक अजीब संयोग जुड़ा है। इन गांवों में पुल नहीं होने के कारण न केवल ग्रामीण यातायात बाधित है, बल्कि तमाम संभावना के बावजूद इनका विकास नहीं हो रहा। लोगों को आज भी नदी पार करने के लिये बैलगाड़ी का सहारा लेना पड़ता है।
देवरिया व बनगामा में कभी राजाओं की तूती बोलती थी, लेकिन आज पिछड़ेपन का अंधेरा सर चढ़ कर बोलता है। इसका प्रमुख कारण है ग्रामीण सड़कों पर पुलों की कमी।
देवरिया के निकट कोठी घाट पर ब्रिटिश जमाने में काठ का पुल बना था। सारी लकड़ी चोरी हो गयी। अब लोगों को पैदल तैर कर पार करना पड़ता है।
बनगामा के मुखिया अब्दुल मतीन ने बताया कि कोठी घाट में सौरा नदी पर बने पुल की मरम्मत नौ दस साल पहले की गयी थी, लेकिन चोरों ने सारी लकड़ी चुरा ली। वहीं दुलारदेई नदी पर डुमरा पुल की भी यही स्थिति है। इन दो प्रमुख पुलों के बन जाने से डुमरा, करंकिया, लताहारी, सैदपुर, इकड़ा, सिंघिया, चनका, बानसर, बारीघाट, बसैटी सहित दो दर्जन से अधिक गांवों की तस्वीर बदल सकती है। मुखिया मतीन के मुताबिक इलाका धान उपजाने वाला है। घर में महिला पुरुष सब मिल कर धान से चावल बनाते हैं और मर्द चावल के बोरों को अपनी साइकिल पर लाद कर अररिया स्थित मंडी तक पहुंचाते हैं। लेकिन खराब सड़क और नदी पर पुल नहीं होने की वजह से उन्हें बेहद परेशानी झेलनी पड़ती है।

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