अररिया : गरीबी, बेकारी व अभाव से ग्रसित सीमावर्ती अररिया जिले वासी जहां समृद्धशाली भारत बनाने का सपना संजोयें हैं, वहीं इस जिले पर काली कमाई करने वालों की नजर लग गयी है, जिस कारण वर्ष 2010 जहां घपले-घोटालों के मामले में सुर्खियों में रहा है। इस तरह अदालती रिकार्ड में भी प्रशासनिक व्यवस्था के अब्बल कुर्सीधारकों से संबंधित कई प्रोफाईल मामले दर्ज है, जिन्होंने भ्रष्टाचार की काली छाया से अपनी कुर्सी को दागदार बना दिया है। वर्षो से जारी प्रशासन की दुल-मुल नीति के कारण अधिकतर सरकारी योजनाएं जहां धरातल पर नहीं पहुंच सका। वहीं अपने निर्धारित लक्ष्य पुरा करने से वंचित होते रहे।
जिस कारण षडयंत्रपूर्ण नीति, खर्च पर खर्च, पेंच पर पेंच तथा भ्रष्टाचार के फैले रोग इस जिले में चरम पर रहा। इस कारण भ्रष्ट सरकारी तंत्रों ने अपनी मर्यादा स्वयं तोड़ते रहे और अधिनस्थ अधिकारियों की मिली भगत से सरकारी आवंटन पर नजर गरा दिया। इस परिस्थिति में भ्रष्टाचार की चरम सीमा इस जिले में पर होती रही। स्थिति ऐसा आया कि भ्रष्टाचार से ग्रसित इन सरकारी महकमें के विरुद्ध छोटे होहदे वाले तंत्र भी जमकर आवाजें बूलंद की तथा निचले कुर्सी वाले वरीय अधिकारियों के फरमान पर इन भ्रष्ट लोगों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करते-कराते रहे।
घपले-घोटाले के लगातार उठ रहे परतों के बाद अररिया के तत्कालीन जिला पदाधिकारी, तत्कालीन उप विकास आयुक्त तथा अनेकों अभियंताओं सेलेकर कई प्रशासनिक अधिकारी व उनके अधीनस्त कर्मी के विरुद्ध सरकारी राशि हड़पने के आरोप सामने आता गया।
इस बड़े घोटाले के उजागर होने के बाद यहां की जनता ने करोड़ों रािश के गवन को सून भौचक हो उठे तो उंची कुर्सी को दागदार करने के मामले उस वक्त और ताजा हो गया, जब सीएम नीतीश कुमार ने विकास यात्रा के दौरान अररिया पहुंच अपनी समीक्षात्मक बैठक की। अन्यथा इस जिले में भ्रष्टाचारियों की छाया से कानून का अंधेरा छाया रहता।
अररिया थाने में 24 जून, 10 को कांड संख्या 283/10 दर्ज हुआ। जिसमें पूर्व डीएम अमरेन्द्र कुमार सिंह, डीडीसी बाल्मिकी प्रसाद व पूर्व कार्यपालक अभियंता को नामजद अभियुक्त किया गया। आठ करोड़ सरकारी राशि के आरोप में दर्ज इस प्राथमिकी के तार इस तरह जुटते गये की बाद में स. अभियंता दीपक कुमार, मुकेश कुमार, समेत बीर बहादुर सिंह, धनपत मोदी एवं त्रिवेणी प्र. शर्मा को भी आरोपित किया गया।
सूत्र बताते है कि आठ करोड़ सरकारी राशि अररिया के तत्कालीन डीएम अमरेन्द्र कुमार के समयकाल आवंटित हुए थे। जिसे सहायक अभियंता दीपक कुमार के नाम पांच करोड़ 99 लाख 80 हजार, मुकेश कुमार सिंह के नाम एक करोड़, अभियंता वीर बहादुर सिंह के नाम 25 लाख, धनपत मोदी के नाम 50 लाख, त्रिवेणी प्र. शर्मा के नाम 25 लाख इंदिरा आवास रुपए एकाउन्ट में चेक के माध्यम दिया गया। परंतु उक्त राशि के तहत इंदिरा आवास बनाया या नही, व्यय प्रतिवेदन तथा उपयोगिता प्रमाण पत्र कार्यपालक अभियंता द्वारा डीआरडीए को उपलब्ध नही कराया गया। इस मामले में वित्तीय वर्ष 04-05 के लिये आवंटित इंदिरा आवास मद का आठ करोड़ राशि का अरोप है जिसकी नियम के विरुद्ध राशि उठाव के बाद इन सरकारी राशियों का साजिस के तहत गठन कर लेने का आरोप है। इसी घटना को लेकर सी.एम. नीतीश कुमार ने दोषियों के विरुद्ध डीएम को निर्देश दिया था।
उधर अररिया के थानाध्यक्ष रामशंकर सिंह ने पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर अररिया थाना कांड संख्या 481/10 दर्ज कराया। जालसाजी, धोखाधड़ी के इस मामले में पूर्व उप विकास आयुक्त एमएम तलहा साजिद को नामजद अभियुक्त बनाया गया। 15 नवंबर 10 को दर्ज इस मामले में पिछले 15 जूृन 2000 से 10 जनवरी 01 तक की घटना का उल्लेख है। जिसमें सरकारी निर्देश का उल्लंघन करने तथा निजी लाभ के लिए अपराधिक षडयंत्र कर इंदिरा आवास योजना की राशि का गबन व बंदवाट का उल्लेख है।
डीआरडीए अररिया के निर्देशक मो. जफर रकीब ने 12 जनवरी, 10 को अररिया कांड संख्या 29/10 दर्ज कराया, जिसमें जालसाजी व सरकारी कार्य में बाधा डालने आदि के आरोप लगाते सेवानिवृत लेखापाल एके सिंह को आरोपित किया है। उधर 16 अप्रैल 10 को फारबिसगंज के एसडीओ कुन्दन कुमार ने स्थानीय बीडीओ अजय ठाकुर, कनिय अभियंता बीर बहादुर सिंह समेत कई मुखिया व सरकारी कर्मियों को आरोपित किया। इस मामले में जालसाजी व धोखाधड़ी कर सरकारी राशि षडयंत्रपूर्ण ढंग से हड़पने का आरोप है। अररिया के बीडीओ संजय कुमार ने अपने हीं कार्यालय नाजीर के विरुद्ध कांड संख्या 07/10 दर्ज कराया है।
पुन: अररिया के बीडीओ ने 17 जनवरी 10 को कांड संख्या 37/10 दर्ज कराया, जिसमें जालसाजी कर सरकारी राशि गबन का आरोप लगाया गया तथा इसमें तत्कालीन नाजीर (निलंबित) रामेश्वर प्र. मंडल को नामजद अभियुक्त बनाया गया।
सिनटी के बीडीओ मो. अतहर हुसैन ने सिकटी थाना कांड संख्या 17/10 दर्ज कराया, जिसमें पंचायत सचिव देवी सरदार समेत चार लोगों को आरोपित किया गया।
यही हाल पिछले 2009 में भी रहा। इसे घपले-घोटाले के मामले में अररिया क पूर्व बीडीओ समेत सरकारी तंत्र आरोपित हुये थे। जरूरत है लोगों को सचेत होने की। अन्यथा निर्दोष के विरुद्ध कीचड़ उठाने के बदले मोटी चमड़े वाले अधिकारियों को सबक सिखाने होगे।
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