Saturday, January 1, 2011

नववर्ष के जश्न में डूबे युवा

अररिया : नये साल पर सब की मंगल कामना। मस्ती व खुश रहने के जज्बे को सलाम। खास कर युवाओं के अपरिमेय जज्बे को, जो आधी रात को नव वर्ष के आगमन के साथ ही बुलंदियों पर जाता प्रतीत हुआ। काली मंदिर से शंख की गुरु गंभीर आवाज और पूरे शहर में पटाखों की जोरदार आवाज के साथ हुआ नये साल का इस्तकबाल। भावना कुछ ऐसी कि चलो इस बार नये साल में कुछ नया कर के दिखाना है। जनकवि हारुण रसीद गाफिल की पंक्तियां चरितार्थ होती लगी कि नये साल में कुछ नया कर दिखाएं, वतन को जरूरत हो तो सर भी कटाएं ..।
शहर में सैकड़ों युवा देर रात तक जगे रहे, गीत संगीत की मस्ती में सराबोर और टेलीविजन पर प्रसारित हो रहे कार्यक्रम में थिरकते हुए। ज्यों ही घड़ी के कांटे ने बारह बजाए कि सब चिल्ला कर झूम उठे। ..नये साल का जोरदार स्वागत! इसके ठीक बाद बारिश की बूंदें भी पड़ने लगी। ..ओह, ई पानी तो मूडे खराब कर दिया। ..अरे, नहीं नहीं, नये साल का आगाज पानी की फुहार के साथ हुआ है, यह शुभ लक्षण है। बहरहाल अहले सुबह से ही लोग नये साल की चहलकदमी में निकल पड़े। एक दूसरे को नव वर्ष की बधाईयां दी और मिठाईयां खायी व खिलाई। पानी की परवाह नहीं। लोगों के इस मूड को शायद इंद्रदेव ने भी भांप लिया और देर सुबह तक मौसम खुशनुमा हो गया। इसके बाद युवाओं की टोली पिकनिक मनाने को निकल पड़ी।
पिकनिक को ले कर मीट व मुर्गे की दुकानों पर भारी भीड़ लगी रही। हरी सब्जियों के दाम भी तेज रहे। प्याज की कीमत तो पहले ही से आसमान पर मौजूद है।
इस दौरान परमान नदी तट, एबीसी नहर, कुसियारगांव जंगल, अररिया कालेज कैंपस तथा कोसी नदी के किनारे पिकनिक मनाने वालों का जत्था मस्त व व्यस्त नजर आया।
बाक्स
खुश रहना किसी का एकाधिकार नहीं
अररिया, जाप्र: खुश रहनेकी भावना पर किसी का एकाधिकार नहीं। मस्ती अब किसी खास की जागीर नहीं। खुशी व मस्ती दोनों अब आम हो गये हैं।
नये साल की पहली तारीख पर अररिया शहर की महादलित बस्ती में व आसपास ऐसा ही दिखा। महादलित समुदाय के बच्चे पिकनिक मना रहे थे। मुन्नी बदनाम हुई.. की धुन पर जोरदार डांस भी चल रहा था। और इधर, बर्तन में पक रहा था भोजन। बच्चों के चेहरों पर मौजूद खुशी देखकर ऐसा लगा कि नये साल में सब कुछ शुभ शुभ ही रहेगा।

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