रानीगंज (अररिया) : शिक्षा की अलख कैसे जलती रहे? प्रखंड में 32 पंचायत और हाई स्कूल मात्र पांच। रानीगंज प्रखंड के बालक बालिका स्कूलों की कमी का दंश झेल रहे हैं।
प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में सरकार अनिवार्य शिक्षा के तहत नई-नई घोषणाएं कर प्रत्येक बच्चों को समुचित शिक्षा प्रदान करने की कवायद कर रही है। लेकिन रानीगंज प्रखंड की 32 पंचायतों के लगभग चार हजार छात्र छात्राओं के लिए मात्र पांच उच्च विद्यालय हैं और वहां भी शिक्षा का पाठ पढ़ाने के लिए कई वर्षो से कुल मात्र 31 शिक्षक ही हैं।
इन पांच हाई स्कूलों में से तीन में +2 तक की पढ़ाई की स्वीकृति भी विभाग ने प्रदान कर दी है। परंतु हकीकत है कि 20-20 किमी. दूरी तय कर आने वाले छात्र-छात्राओं को विद्यालय में विषयवार शिक्षक नही रहने के कारण उनका मनोबल लगातार टूट रहा है। शिक्षकों की कमी एवं वर्षो से खाली सीटों के विषय में पूछने पर अररिया जिला शिक्षा पदाधिकारी राजीव रंजन प्रसाद कहते हैं कि शिक्षक नियोजन के बाद रिक्तयों को भर दिया जायेगा।
रानीगंज प्रखंड के पांच उच्च विद्यालय में से तीन प्रखंड मुख्यालय में एक पूरब के हांसा कमपूलपूर गांव में अन्य एक परिक्षम में वेलसारा गांव में अवस्थित है। पूर्णिया जिले के गिने-चुने स्कूलों में एक लाल जी उच्च विद्यालय की स्थापना 1899 में हुयी थी। आज इस विद्यालय में 1200 छात्राओं को शिक्षा देने के लिए मात्र सात शिक्षक हैं। छात्रों की संख्या को देखते हुए 140-140 छात्रों का सेक्शन बनाकर वर्ग 9 में चार तथा वर्ग 10 में चार सेक्शन हैं परंतु शिक्षकों की कमी के कारण दो-दो सेक्शन के छात्र एक ही वर्ग में भेड़-बकरियों की तरह बैठने को विवश हे। दु:खद बात तो यह हे कि विद्यालय में वर्षो से गणित, हिंदी एवं उर्दू के शिक्षक नहीं हे। कहते हैं कालांतर में इस विद्यालय में कृष्ण वल्लभ लाल दास, राम नारायण प्रसाद रमण जैसे शिक्षक प्रधानाचार्य पद पर रहे हैें। वहीं, श्यामानंद ठाकुर, पं. अमोघ नारायण झा अमोघ, पं. सियाराम झा, वजाहत हुसैन, सुकदेव मोदी, अजीत कुमार, रेशम लाल पूर्वे, महेश्वरी प्रसाद मेहता, पं. शिव शंकर झा आदि जैसे विद्वान दर्जनों शिक्षक रहे हैं।
इधर, विद्यालय में न तो कोई साफ-सफाई स्टाफ है और न ही रात्रि प्रहरी। दो दो छात्रावास चला रहे विद्यालय के रसोईया को विद्यालय से हटा कर अररिया कल्याण विभाग में प्रतिनियुक्त कर दिया गया है। हालांकि छात्र पूर्व की परंपरा को बरकरार रखते हुए मैट्रिक परीक्षा में 80-90 प्रतिशत उत्तीर्णता हासिल करते रहे हैं। परंतु सरकारी उपेक्षा के कारण विद्यालय में विषयवार शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति नही हो पायी है।
पूरे समाज में नारी शिक्षा की अलख जगाने वाली महिला पद्मश्री कलावती कन्या उवि में भी 500 से अधिक छात्राएं नामांकित हैं वहां मात्र एक चयनित एवं तीन नियोजित शिक्षक हैं।
0 comments:
Post a Comment