Saturday, August 6, 2011

तुलसीकृत रामायण समन्वय की विराट चेष्टा


अररिया : तुलसी कृत रामचरित मानस समन्वय की विराट चेष्टा है। तुलसी आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं, जितना पहले थे। व्यवस्था से उनका संघर्ष हमेशा प्रेरणा देता रहेगा। ये बातें शनिवार को अररिया कालेज में आयोजित तुलसी जयंती समारोह के अवसर पर विभिन्न वक्ताओं ने कही। समारोह की अध्यक्षता डा. नवल किशोर दास ने की।
इस अवसर पर बोलते हुए प्रधानाचार्य डा. मुहम्मद कमाल ने कहा कि तुलसी ने अपने दौर में व्यवस्था से संघर्ष किया। वे अपने रामराज्य की अवधारणा को ले उस वक्त की व्यवस्था से लड़ रहे थे। उनका संघर्ष सदैव प्रेरणा देता रहेगा। डा. कमाल ने कहा कि तुलसी ने जितनी रचनाएं की उतनी आधुनिक काल के कवियों ने नहीं की।
उन्होंने तुलसी दास को विराट समन्वयकर्ता बताया और कहा कि उनके पात्र तत्कालीन सामाजिक यथार्थ पर आधारित थे।
वहीं, अध्यक्ष पद से बोलते हुए डा. नवल किशोर दास ने कहा कि तुलसी साहित्य समाज की अनुपम धरोहर है। तुलसी दास पूरी दुनियां के सर्वाधिक पढ़े जाने वाले रचनाकार हैं। उनकी रचनाएं बेहद ज्ञानव‌र्द्धक हैं।
वहीं, डा.सुबोध कुमार ठाकुर ने कहा कि तुलसीकृत रामायण समन्वय की विराट चेष्टा है। इससे पहले विषय प्रवेश कराते हुए हिंदी के उपाचार्य डा. उदित कुमार वर्मा ने रामचरित मानस को समाज का संविधान बताया। डा. शिवनाथ महतो ने कहा कि तुलसी के मानस से जीने का सिस्टम प्राप्त हुआ है। डा. अशोक पाठक ने तुलसी साहित्य पर और रिसर्च की बता कही। इस अवसर पर प्रो. सीएम चौधरी, जयनारायण झा, उमाशंकर चौधरी आदि ने भी अपने विचार रखे।
कार्यक्रम में कालेज के प्राध्यापक, कर्मचारी सहित छात्र-छात्रा उपस्थित थे।

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