भरगामा (अररिया) : व्यापक पैमाने पर अनुबंधित शराब दुकान खोले जाने से राजस्व के रूप में विभाग या सरकारी को फायदा अवश्य मिला है। किंतु एक सच्चाई यह भी है कि शराब की ताबड़तोड़ बिक्री व इसके सार्वजनिक स्थलों पर धड़ल्ले से किए जा रहे उपयोग ने प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से शरीफों को घर से बाहर निकलने पर प्रतिबंध सा लगा दिया है।
शहरों या वैसे तमाम क्षेत्र जहां नियमित पुलिस की गश्ती की जाती है वहां एक हद तक माहौल अभी भी नियंत्रण में है लेकिन वैसे तमाम क्षेत्र जो पुलिस की निगरानी से दूर है वहां स्थिति काफी चिंताजनक बनी हुई है। केवल भरगमा प्रखंड में पान, चाय, किराना आदि की दुकान दर्जनों में है जहां अवैध रूप से देशी व इंगलिश शराब बेची जा रही है। गंभीर बात यह है कि पीने-पिलाने पर भी कोई खास अंकुश नहीं है। सार्वजनिक या भीड़-भाड़ वाले इलाकों में भी उन्मुक्त रूप से शराब सेवन कर रहे लोगों को सुबह से लेकर शाम तक देखा जा सकता है। शराब पीकर आपस में गाली-गलौज करते आने-जाने वालों पर फब्बियां कसते लोगों से त्रस्त शरीफ लोग व महिलाएं घर से निकलने से परहेज करती हैं। वैसे स्थानीय पुलिस द्वारा ऐसे अपसंस्कृति पर विराम लगाने के उद्भेदन से लगातार कार्रवाई की गई तथा कई लोगों को हिरासत में लेकर दंडात्मक कार्रवाई भी चलाई गई लेकिन यह कार्रवाई भी नाकाफी ही साबित हुई।
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