अररिया : नरपतगंज डकैती कांड के उद्भेदन के दौरान कई चौंकाने वाले तथ्यों का खुलासा हुआ है। गिरफ्तार अपराधियों ने एसपी के समक्ष खुलासा किया है कि घटना में तीन गिरोह के 35 सदस्य शामिल थे। घटना से पूर्व सुपौल के मोकीम मियां गिरोह के सदस्यों ने एक दर्जन बम बनाया, फिर उसका प्रयोग दहशत फैलाने के उद्देश्य से किया गया। वहीं बिदो पासवान गिरोह ने घटना को अंजाम देने वाले गांव की रैकी की। अपराधियों ने एसपी के समक्ष यह भी खुलासा किया कि झाबड़ मरीक महेश यादव गिरोह के सदस्य मोकीम मियां गिरोह के कहने पर ही घटना को अंजाम देने पहुंचा था। तीन गिरोहों के सदस्य एकजूट होकर डकैती की घटना को अंजाम दिए, फिर अपने-अपने गंतव्य स्थान पर चले गये।
किसी भी घटना को अंजाम देने के लिए तीन गिरोहों की एकजूटता आने वाले समय में पुलिस के लिए सिरदर्द बन सकती है। ऐसी एकजूटता जिले में चार साल बाद देखी जा रही है। कभी जिले में डकैतों का बादशाह माने जाने वाले रज्जाक मियां गिरोह, नरपतगंज के बिकरू पासवान गिरोह एवं जगता खरसाही के सैफुल्लाह गिरोह की तूती बोलती थी। पहले इस गिरोह के सदस्य संगठित होकर अलग-अलग आपराधिक घटनाओं को अंजाम देते थे। लेकिन बाद में ऐसा भी आया कि तीनों गिरोह एकजुट होकर नेपाल के रंगेली, इटहरी, अररिया के फारबिसगंज, सिमराहा, जोगबनी, जलालगढ़ एवं अन्य क्षेत्रों में दो दर्जन से अधिक डकैती, लूट जैसे आपराधिक घटनाओं को अंजाम दिया। इस गिरोह की सक्रियता से पुलिस की नींद उड़ गयी थी। दो वर्ष पूर्व जब अररिया पुलिस ने रज्जाक की गिरफ्तारी की थी उस समय उन्होंने पुलिस के समक्ष स्वीकार किया था कि उसके गिरोह ने दो दर्जन डकैती की घटना को अंजाम दिया है। जबकि नरपतगंज के बिकरू पासवान ने भी दर्जनों घटना को अंजाम दिया था। दोनों सरगना हाल ही में जेल से रिहा हो गये। जेल से रिहा होने के बाद अब तक किसी भी घटना में उनकी संलिप्तता सामने नहीं आयी है। लेकिन वर्षो बाद गिरोहों की एकजुटता फिर से सामने आने लगी है। अपराधियों की एकजुटता पर लगाम नहीं लगाया गया तो आने वाले समय में पुलिस ही नहीं आम जनों के लिए समस्या खड़ी हो सकती है। हालांकि पुलिस अधीक्षक शिवदीप लाडे का कहना है कि ऐसी नौबत नहीं आने दी जाएगी। एसपी ने बताया कि किसी भी आपराधिक गिरोह की एकजुटता तो दूर कोई बदमाश फन भी उठाने का प्रयास किया तो उसे कुचल दिया जायेगा
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