अररिया : लाभुकों की आड़ में इंदिरा आवास के ब्रोकर खुलकर खेलते रहे हैं। ब्रोकर का यह फंडा है कि लाभुक सब पर भारी है, उसे पकड़ोगे तो सत्ता हिल जायेगी..। इसी कमजोर नस को दबाकर दलाल दोहन कर रहे हैं। इन दलालों में राजनीतिक संरक्षण प्राप्त छुटभैये नेता, कई पंचायत जनप्रतिनिधि, कुछ सरकारी अधिकारी व कर्मी तथा समाज के कुछ खास लोग शामिल हैं।
यह अलग बात है कि अररिया प्रखंड में मकान नहीं बनाने वाले साढ़े छह सौ से अधिक लाभुकों को लाल नोटिस दे दी गयी है। लेकिन इस बात की तहकीकात अब तक किसी अधिकारी ने नहीं की कि लाभुकों ने घर क्यों नहीं बनाया। इंदिरा आवास के गलियारे में 'स्वच्छंद विचरण' करने वाले किसी बिचौलिए को भी नहीं पकड़ा गया।
जिले के अररिया प्रखंड में दलित-महादलित समुदाय के लोगों को आवास का कोटा पूरा हो गया है, लेकिन पक्के आवास कहीं नजर नहीं आते। अब उनके विरुद्ध इस बात को लेकर कार्रवाई की जा रही है कि उन्होंने पैसा उठा लिया लेकिन पक्का घर नहीं बनाया। जानकारों की मानें तो जिले में आम धारणा यह है कि इंदिरा आवास का पैसा फोकट का सरकारी पैसा है, इस पैसे से ऐश करो। प्रशासन ने जिले के पक्का आवास विहीन हजारों लाभुकों को पहले तो सफेद नोटिस दी और अब कुछ समय पहले उन्हें लाल नोटिस थमायी गयी है। ..जवाब दीजिए कि आपने मकान क्यों नहीं बनाया? क्यों नहीं आपके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की जाये? लेकिन जिला प्रशासन उन अधिकारियों को एकाउंटेबल क्यों नहीं बना रहा, जिनके कार्यकाल में घर नहीं बने?
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