Thursday, June 28, 2012

बरसात के आते ही सहमने लगे शहरवासी


अररिया : बरसात का मौसम आते ही शहर वासी सहमने लगे हैं। पूर्व की तरह इस बार भी शहर वासियों को बजबजाते कीचड़ एवं जल जमाव से जूझना पड़ेगा। खास कर शहर के गोढ़ी चौक से जीरोमाईल तक निर्माणाधीन मुख्य मार्ग को लेकर जलजमाव की समस्या विकराल होगी। सड़क टूटने के कारण दोनों किनारे मुख्य नाले भी जगह जगह टूट कर बिखर गये हैं। नाले की गंदगी अभी से सड़कों पर जमना शुरू हो गया है। सड़क निर्माण पुरा होने तक इस समस्या से निजात पाने के लिये नप प्रशासन न तो सक्रिय हैं और न कोई संसाधन।
चार वर्ष पूर्व जल जमाव की समस्या से निजात पाने के लिये नगर विकास विभाग के तत्वावधान में चार सदस्यीय टीम अररिया पहुंच कर पूरे शहर का ले आउट किया था। ले आउट होने के बाद सीवरेज के लिये करीब 50 करोड़ की लागत वाली प्रस्ताव विभाग को भेजी गयी थी। लेकिन भेजी गयी प्रस्ताव को आज तक स्वीकृति नहीं मिल पायी है। इस दौरान गली मोहल्ले एवं मुख्य मार्गो से जल जमाव हटाने के लिये करोड़ों खर्च की गयी, लेकिन शहर की स्थिति क्या है इसका आकलन शहर के किसी भी कोने से किया जा सकता है। तीन वर्ष पूर्व ही एडीबी चौक से पंचकौड़ी चौक तक 22 लाख की लागत से नाला का निर्माण कराया गया। इस निर्माण में दिलचस्प पहलू यह है कि आश्रम चौक पर दोनों ही छोर से तीन फीट उंचा जमीन का लेवल है। इस परिस्थिति में नाला निर्माण की स्थिति और जल निकासी की क्या स्थिति होगी यह सहज ही अनुमान लगाने की बात है। कई वार्डो में बनाये नाले की स्थिति यह है कि उससे पानी की निकासी दोनो ओर हो रही है। मुख्य बाजार से जल निकासी करने के लिये चांदनी चौक से दो मुख्य नाला बनाये गये हैं। एक नाला कोसी धार में तो दूसरा परमान नदी में गिराया गया है। लेकिन इस नाले की सफाई नहीं होने से पानी शहर कई स्थानों में फैल जाती है। यह क्रम तब तक चलता रहता है जब तक शहर प्रदूषण की समस्या नहीं फैल जाती है। इन दोनों नालों मे करीब एक दर्जन छोटे छोटे नालों का जोड़ा गया है। लेकिन सबके के सब मिट्टी से भरे पड़े हैं। नाले की सफाई के लिये आज भी मेन पावर के अलावे नप प्रशासन के पास को तकनीकि संसाधन नहीं है। बरसात आते ही शहर के आधा दर्जन वार्ड जल मग्न हो जाते हैं। परमान नदी किनारे डम्हैली, मरिया टोला, खरैया बस्ती, कोसी धार किनारे आजाद नगर, जहांगीर टोला एवं बीन टोला के लोगों को घरों से भी निकलना मुश्किल हो जाता है। बाढ़ की समस्या पैदा होते ही प्रशासन राहत सामग्री बांटकर अपने कर्तव्यों का निर्वहन तो कर लेती है, लेकिन स्थायी निजात पाने के लिये प्रशासन आज तक कोई उचित पहल नहीं कर पायी है।

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